नयी दिल्ली/मुम्बई: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर के इस्तीफे को बुधवार की रात स्वीकार कर लिया। इससे पूर्व ‘‘ मी टू ’’ लहर के बीच कई महिला पत्रकारों द्वारा लगाये गये यौन शोषण के आरोपों के बाद भारी दबाव का सामना कर रहे विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने पद से इस्तीफा दे दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अकबर के इस्तीफे को स्वीकार करने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेज दिया था। लगभग 20 वर्ष पहले यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाने वाली एक पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले की दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में सुनवाई से एक दिन पहले 67 वर्षीय अकबर ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की।
एक बयान में अकबर ने कहा है ‘‘चूंकि मैंने निजी तौर पर कानून की अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं।’’ बयान में उन्होंने कहा है ‘‘मैं, अपने खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को निजी तौर पर चुनौती दूंगा। इसलिए मैं विदेश राज्य मंत्री पद से त्यागपत्र देता हूं।’’ उन्होंने कहा ‘‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बेहद आभारी हूं कि उन्होंने मुझे देश की सेवा करने का अवसर दिया।’’ यौन दुर्व्यवहार के कई आरोपों के बाद इस्तीफा देने वाले अकबर शायद पहले मंत्री हैं।
सूत्रों के अनुसार सरकार में एक राय थी कि मंत्री को इस मामले से निजी तौर पर लड़ना चाहिए न कि एक केन्द्रीय मंत्री के रूप में। अकबर ने सोमवार को रमानी के खिलाफ शिकायत दायर करके आरोप लगाया था कि रमानी ने उनके खिलाफ ‘‘जानबूझकर’’ और ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ तरीके से उनकी छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से ये आरोप लगाये है। कई शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों ने भी तत्काल उनके इस्तीफे का स्वागत किया।
रमानी ने ट्वीट किया,‘‘एम जे अकबर के इस्तीफे से महिलाओं के रूप में हम सही साबित हुए है। मुझे उस दिन का इंतजार है जब मुझे अदालत में न्याय मिलेगा।’’रमानी ने अकबर के इस्तीफ को ‘‘सच्चाई की जीत’’ बताया।
पिछले लगभग 10 दिनों से कम से कम 20 महिलाओं ने आगे आकर उन दिनों अकबर के हाथों कथित यौन उत्पीड़न के अपने अनुभवों को साझा किया था जब वह कई प्रमुख प्रकाशनों में संपादक के पद पर थे। इन आरोपों के बाद विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ कई मीडिया संगठनों ने भी उनके इस्तीफे की मांग की थी। दिल्ली की एक अदालत पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ एम जे अकबर के आपराधिक मानहानि मामले पर गुरूवार को सुनवाई करेगी। रमानी ने अकबर पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाये है। रमानी के खिलाफ अकबर के आपराधिक मानहानि मामले में यहां पटियाला हाउस अदालत में गुरूवार को सुनवाई होगी।
अकबर के कार्यकाल के दौरान द एशियन ऐज में काम कर चुकी 20 पत्रकारों ने मंगलवार की रात उनके खिलाफ एक संयुक्त बयान जारी किया था। द एशियन एज अखबार की रेजिडेंट एडिटर सुपर्णा शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘यह हमारे लिए बड़ा क्षण है। आरोपों की पुष्टि होती है। हालांकि उनके दिल्ली पहुंचते ही यह कदम उठाया जाना चाहिए था लेकिन अब कम से कम शक्ति असंतुलन नहीं होगा और यह सरकार और रमानी के बीच लड़ाई नहीं होगी।’’ महिला अधिकार कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने कहा कि अकबर को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने पहले इस्तीफा नहीं दिया।
कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने यौन शोषण के आरोपों से घिरे एमजे अकबर के विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने को ‘सच की ताकत की जीत’ करार दिया और कहा कि वह उन महिलाओं को सलाम करती है जिन्होंने आवाज उठाई थी।
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा,‘‘अकबर का इस्तीफा ही पर्याप्त नहीं है और उनके खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उनके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया को शुरू किया जाना चाहिए।’’
एक सरकारी सूत्र ने बुधवार को बताया कि सरकार यौन उत्पीड़न पर कानून में खामियों को देखने के लिए मंत्रियों के समूह का गठन पर विचार कर रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए कानूनी और संस्थागत ढांचे को देखने के लिए एक कानूनी पैनल का प्रस्ताव दिया था और इसके कुछ दिनों बाद यह विचार आया है।