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मेघालय में मजदूरों को बाहर निकालने के काम से संतुष्ट नहीं उच्चतम न्यायालय

खनिक 13 दिसंबर को एक खदान में नजदीकी लैतिन नदी का पानी भर जाने के बाद से अंदर फंसे हैं। ‘रैट होल’ (चूहे का बिल) कही जाने वाली यह खदान पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में पूरी तरह से पेड़ों से ढकी एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 03, 2019 13:46 IST
मेघालय में फंसे मज़दूरों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज- India TV Hindi
मेघालय में फंसे मज़दूरों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

 

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मेघालय सरकार से बृहस्पतिवार को कहा कि 13 दिसंबर से अवैध कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों को निकालने के लिए अब तक उठाए गए कदमों से वह संतुष्ट नहीं है। न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने मेघालय सरकार से पूछा कि इन लोगों को निकालने में वह सफल क्यों नहीं रही।

राज्य की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने बचाव अभियान के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं और केंद्र भी उनकी सहायता कर रहा है। पीठ ने कहा, “हम संतुष्ट नहीं हैं। यह जीवन-मरण का सवाल है।”

पीठ ने इन लोगों को निकालने के लिए शीघ्र कदम उठाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता आदित्य एन प्रसाद से केंद्र के विधि अधिकारी को बुलाने के लिये कहा ताकि उचित आदेश तत्काल दिया जा सके। पीठ आज दिन में भी इसकी सुनवाई जारी रखेगी। 

खनिक 13 दिसंबर को एक खदान में नजदीकी लैतिन नदी का पानी भर जाने के बाद से अंदर फंसे हैं। ‘रैट होल’ (चूहे का बिल) कही जाने वाली यह खदान पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में पूरी तरह से पेड़ों से ढकी एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। ‘रैट होल’ खनन के तहत संकरी सुरंगें खोदी जाती हैं जो आमतौर पर तीन-चार फुट ऊंची होती हैं। खनिक इनमें घुसकर कोयला निकालते है।

याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार को किर्लोस्कर ब्रदर्स लि सहित अन्य के पास उपलब्ध उच्च क्षमता वाले पंपों की मदद लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। किर्लोस्कर ने जून-जुलाई 2018 में रायल थाई सरकार को इन पंप की पेशकश की थी।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने मीडिया में आईं उन खबरों का खंडन किया था जिनमें उसके हवाले से कहा गया था कि खदान के भीतर से आ रही दुर्गंध के कारण यह आशंका जताई जा रही है कि वहां फंसे खनिकों की मौत हो चुकी है। उसने कहा था कि यह दुर्गंध खदान में गंदे पानी की वजह से भी हो सकती है क्योंकि पंपिंग की प्रक्रिया 48 घंटे से अधिक समय तक रुकी रही थी।

दुर्घटना में बचे एक जीवित ने शनिवार को बताया कि फंसे खनिकों के जीवित बाहर आने का कोई रास्ता नहीं है। खदान में फंसे कम से कम सात खनिकों के परिजन उनके जीवित निकलने की आस पहले ही छोड़ चुके हैं और उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि अंतिम संस्कार के लिए उनके शव बाहर निकाले जाएं।

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