नई दिल्ली। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर उच्चतम न्यायालय के संभावित निर्णय से कुछ दिनों पहले शनिवार को देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों, उलेमा और बुद्धिजीवियों की बैठक हुई जिसमें सभी पक्षों से अदालती फैसले को स्वीकार करने और शांति बनाए रखने की अपील की गई।
कई मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि समूह ‘ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत’ की ओर से बुलाई गई इस बैठक में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मुशावरत के प्रमुख नावेद हामिद, ‘मरकजी जमीयत अहले हदीश हिंद’ के प्रमुख मौलाना असगर अली इमाम सलफी, ऑल इंडिया उलेमा एंड मशायख बोर्ड के प्रमुख मौलाना अशरफ किछौछवी, पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी तथा कई अन्य मौलाना एवं मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी शामिल हुए।
बैठक के बाद नावेद हामिद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, बैठक में कुछ बिंदुओं पर खासतौर पर जोर दिया गया। मसलन, न्यायालय का जो भी फैसला आए, वो सबको स्वीकार करना चाहिए। दूसरा, देश में यह सबकी जिम्मेदारी है कि शांति बरकरार रखी जाए। उन्होंने कहा, ‘‘इसके साथ ही हम यह उम्मीद भी करते हैं कि इस फैसले के बाद सरकार किसी एक पक्ष के साथ खड़ी नजर नहीं आएगी। हमे उम्मीद है कि यह मामला पूरी दुनिया के कानूनी इतिहास में दर्ज होगा।”
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में अयोध्या मामले पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ने 40 दिन तक लगातार सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। यह फैसला अगले कुछ दिनों के भीतर सुनाए जाने की संभावना है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।