नई दिल्ली: हैदराबाद में आतंकवाद रोधी विशेष अदालत ने मक्का मस्जिद में 2007 में हुए विस्फोट कांड में दक्षिणपंथी कार्यकर्ता स्वामी असीमानंद और चार अन्य लोगों को आज बरी कर दिया। मक्का मस्जिद में आठ मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान एक बड़ा विस्फोट हुआ था जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 अन्य जख्मी हो गए थे। हिन्दू दक्षिणपंथी संगठनों से कथित रूप से संपर्क रखने वाले 10 लोग मामले में आरोपी थे। बहरहाल, उनमें से आज बरी हुए पांच आरोपियों पर ही मुकदमा चला था। मामले के दो अन्य आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कलसांगरा फरार हैं और एक अन्य आरोपी सुनील जोशी की हत्या कर दी गई है।
कौन है असीमानंद
असीमानंद का असली नाम जतिन चटर्जी उर्फ नबाकुमार उर्फ स्वामी असीमानंद है। वें मूल रूप से पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले हैं। बॉटनी (वनस्पति विज्ञान) से ग्रेजुएट असीमानंद का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तरफ झुकाव पढ़ाई के दौरान ही हो गया था। असीमानंद 1990 के बाद से संघ के अनुवांषिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े रहे। असीमानंद उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने 1995 में गुजरात के डांग जिले में 'हिंदू धर्म जागरण और शुद्धीकरण' का काम शुरू किया। यहीं असीमानंद ने शबरी माता का मंदिर बनाया और शबरी धाम की स्थापना की।
साल 2006 में हुए अजमेर शरीफ की मक्का मस्जिद, 2007 में समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट और हैदराबाद मस्जिद ब्लास्ट मामले में साल 2010 में उन्हें मुख्य आरोपी मानकर गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से असीमानंद को आतंकी घटनाओं में शामिल होने के आरोप के चलते एनआईए की जांच में मुख्य आरोपी रहे। 2011 में NIA द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में असीमानंद को हैदराबाद केस के मुख्य आरोपी माना गया।
संसद में तत्कालिन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा भगवा आतंकवाद शब्द प्रयोग करने के चलते भी उनका केस सुर्खियों में रहा। असीमानंद ने मजिस्ट्रेट के सामने भी ये कबूल किया था कि अजमेर दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद और कई अन्य जगहों पर हुए बम ब्लास्ट में उनका और कई अन्य हिंदू चरमपंथी संगठनों का हाथ है। हालांकि असीमानंद बाद में अपने बयान से पलट गए थे साथ ही उन्होंने जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया था। करीब 7 साल जेल में रहने के बाद 23 मार्च 2017 को कोर्ट ने असीमानंद को जमानत दे दी गई। आज इस पूरे मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए असीमानंद को अजमेर ब्लास्ट केस में पहले से ही बरी कर दिया गया है।