Monday, December 23, 2024
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पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण जाधव को दी गई consular access न तो सार्थक और न ही विश्वसनीय: MEA

विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुलभूषण से कॉन्सुलर अधिकारी उनके कानूनी अधिकारों को लेकर बात नहीं कर पाए। कानून सहायता उपलब्ध कराने के लिए उनकी सहमति लेने से भी रोका गया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : July 17, 2020 0:04 IST
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Image Source : AP MEA on pakistan Kulbhushan Jadhav second consular access  

नयी दिल्ली। भारत सरकार ने गुरुवार को अपने अधिकारियों को दी गई राजनयिक पहुंच (कांसुलर एक्सेस) के दौरान भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को डराने और परेशान करने की कड़े शब्दों में निंदा की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को 'बाधाकारी और कपटपूर्ण' करार देते हुए कहा कि 'राजनयिक पहुंच न तो सार्थक थी और न ही विश्वसनीय। बता दें कि, पाकिस्तान में सजा काट रहे भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के लिए पाकिस्तान के दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस की अनुमति के बाद दो भारतीय अधिकारी पहुंचे थे। दोनों भारतीय अफसरों ने जाधव से मुलाकात के बाद अपना विरोध दर्ज कराया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुलभूषण जाधव का कॉन्सुलर ऐक्सस बेरोक-टोक, निर्बाध और बिना की शर्त के नहीं था। इसके उलट भारतीय कॉन्सुलर अधिकारियों और जाधव के बीच मुलाकात के वक्त पाकिस्तानी अधिकारी नजदीक ही मौजूद रहे। एक कैमरे से देखकर भी यह साफ पता चल रहा था कि बातचीत रिकॉर्ड की जा रही है। जाधव पूरी तरह से तनाव में थे। इस मुलाकात में खुले तौर पर बातचीत की अनुमति नहीं दी गई। भारतीय अफसरों ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण जाधव को दी गई ये दूसरी consular access न तो सार्थक है और न ही विश्वसनीय है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुलभूषण से कॉन्सुलर अधिकारी उनके कानूनी अधिकारों को लेकर बात नहीं कर पाए। कानून सहायता उपलब्ध कराने के लिए उनकी सहमति लेने से भी रोका गया। पाकिस्तान की हरकतों से कॉन्सुलर अधिकारियों को यह यकीन हो गया कि इस तरह के कॉन्सुलर ऐक्सेस का कोई मतलब नहीं है। विरोध दर्ज करवाने के बाद अधिकारी लौट गए। विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि हम भारत के लिए कुलभूषण जाधव की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। हालांकि, विदेश मंत्री ने कुलभूषण जाधव के परिवार को इस घटनाक्रम से अवगत करा दिया है।

मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में सरकार के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय कांसुलर अधिकारियों को जाधव तक बिना शर्त, बिना किसी रुकावट के पहुंच नहीं दी गई। प्रवक्ता ने कहा, "यह स्पष्ट है कि इस मामले में पाकिस्तान का रवैया अवरोध पैदा करने वाला और कपटपूर्ण (आब्सट्रक्टिव एंड इनसिन्सियर) है। उसने न केवल अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के 2019 के फैसले को पूरी तरह से लागू करने के अपने आश्वासन का उल्लंघन किया है, बल्कि अपने स्वयं के अध्यादेश के अनुसार कार्य करने में भी विफल रहा है।"

पाकिस्तान सेना ने आरोप लगाया हुआ है कि जाधव एक भारतीय जासूस हैं जो पाकिस्तान में हिंसक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। अप्रैल 2017 में जाधव को सैन्य अदालत कोर्ट मार्शल द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, एक महीने बाद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी थी। पिछले साल आईसीजे ने पाकिस्तान को जाधव को कांसुलर एक्सेस की अनुमति देने और उनकी मौत की सजा की प्रभावी समीक्षा करने का निर्देश दिया था, लेकिन जाधव की रिहाई भारत की अपील को खारिज कर दिया था।

बता दें कि, भारतीय नौसेना के सेवानिवृत अधिकारी 50 वर्षीय जाधव को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 को मौत की सजा सुनाई थी। इसके कुछ ही सप्ताह बाद भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच से पाकिस्तान द्वारा इंकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हेग स्थित आईसीजे ने पिछले वर्ष जुलाई में कहा था कि पाकिस्तान को जाधव को दोषी ठहराये जाने और सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करना चाहिए और उसे बिना देरी किये भारत को राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए।

बता दें कि, विएना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस (वीसीआरसी) 1963 के तहत पाकिस्तान की ओर से पहला कॉन्सुलर एक्सेस 2 सितंबर 2017 को प्रदान किया गया था, तब कमांडर जाधव की मां और पत्नी को भी 25 दिसंबर 2017 को उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी।

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