लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने किसान आंदोलन को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा हैं। उन्होंने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा किसानों के आंदोलन को लेकर विभिन्न आशंकाएं व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की साजिश और उसकी आड़ में चुनावी राजनीति करना घोर अनुचित।''
मायावती ने कहा, ‘‘सीमावर्ती राज्य पंजाब की सरकार के सामने जो भी चुनौतियां है, उसके प्रति गंभीर होकर केन्द्र का सहयोग लेना तो अनुचित नहीं, लेकिन इसकी आड़ में किसानों के आंदोलन को बदनाम करना एवं चुनावी स्वार्थ की राजनीति को जनता खूब समझती है। कांग्रेस को ऐसा करके कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।''
अमरिंदर ने आंदोलनकारी किसानों से तुरंत वार्ता बहाल करने की प्रधानमंत्री से अपील की
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह आंदोलनकारी किसानों के साथ तुरंत वार्ता बहाल करें। मुख्यमंत्री ने उन्हें एक पत्र भेजा जिसमें राज्य विधानसभा चुनाव से पहले आईएसआई समर्थित समूहों की तरफ से ‘‘सीमा पार खतरे’’ का जिक्र किया गया है।
सरकार की तरफ से जारी बयान के मुताबिक सिंह ने वार्ता के लिए पंजाब के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के प्रधानमंत्री से मिलने का प्रस्ताव दिया ताकि किसानों के प्रदर्शन का स्थायी एवं सौहार्दपूर्ण सामाधान निकल सके। उन्होंने कहा कि आंदोलन कारण ‘‘राज्य के सामाजिक ताने-बाने को खतरे के साथ ही आर्थिक गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ रहा है।’’
प्रदर्शनकारी किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। मोदी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने ‘‘सीमा पार से बढ़े खतरे और आईएसआई समर्थित समूहों द्वारा ड्रोन एवं अन्य आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी का हवाला दिया जिसमें कुछ किसान नेताओं को खालिस्तानी संगठनों द्वारा निशाना बनाने की योजना भी शामिल है।’’
उन्होंने चेतावनी दी कि सीमा पार की शक्तियां ‘‘पंजाब के हमारे किसानों के सम्मान एवं भावनाओं से खिलवाड़ कर सकती हैं।’’ सिंह ने कहा, ‘‘वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है लेकिन मुझे भय है कि भड़काऊ बयान, कुछ राजनीतिक दलों के आचरण और भावनात्मक दोहन से कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है और इससे राज्य में कड़ी मेहनत से कायम की गई शांति पर विपरीत असर हो सकता है।’’