Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. हमें शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेः केंद्र सरकार

हमें शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेः केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा है कि यदि खतरे वाले लोगों को टीका लगाकर कोरोना वायरस का ट्रांसमिशन रोकने में सफलता मिली तो शायद देश की पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़े।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : December 01, 2020 18:07 IST
Coronavirus Vaccine, Serum Institute, Serum Institute Oxford Vaccine, Oxford Vaccine, Astrazeneca
Image Source : PIB केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा है कि शायद देश की पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़े।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा है कि यदि खतरे वाले लोगों को टीका लगाकर कोरोना वायरस का ट्रांसमिशन रोकने में सफलता मिली तो शायद देश की पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़े। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सरकार ने कभी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं कही है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि ऐसे वैज्ञानिक चीजों के बारे में तथ्यों के आधार पर बात की जाए। ICMR के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि देश में टीकाकरण वैक्सीन के प्रभाव पर निर्भर करेगा, और हो सकता है कि पूरी आबादी को इसे लगाने की जरूरत ही न पड़े।

‘कोरोना ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना है लक्ष्य’

कोरोना वायरस की वैक्सीन किसे लगाई जाएगी, इस सवाल का जवाब देते हुए आईसीएमआर के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीनेशन इस बात पर निर्भर करेगा कि वैक्सीन कितनी प्रभावकारी है। उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य कोरोना ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना है। अगर हम खतरे वाले लोगों को टीका लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में सफल रहे तो हमें शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़े।’ उन्होंने वैक्सीन के बुरे प्रभाव पर बोलते हुए कहा, ‘दवाई या वैक्सीन के बुरा प्रभाव पड़ता है। यह रेग्युलेटर की जिम्मेदारी है कि डेटा जुटा कर पता लगाए कि क्या इवेंट और इंटरवेंशन के बीच कोई लिंक है।’

‘कभी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं हुई’
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, ‘मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सरकार ने कभी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं कही है। यह जरूरी है कि ऐसे वैज्ञानिक चीजों के बारे में तथ्यों के आधार पर बात की जाए।’ उन्होंने वैक्सीन के ट्रायल के बाद एक शख्स के बीमार होने और मुआवजा मांगने की खबरों पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा, ‘जब क्लीनिकल ट्रायल शुरू होते हैं तो लोगों से सहमति से जुड़ा फॉर्म साइन करवाया जाता है। यही प्रक्रिया दुनियाभर में है। अगर कोई ट्रायल में शामिल होने का फैसला लेता है तो इस फॉर्म में ट्रायल के संभावित उल्टे प्रभाव के बारे में बताया जाता है।’

‘क्लीनिकल ट्रायल बहुकेंद्रित, कई जगहों पर होते हैं’
केंद्रीय स्वास्थय सचिव ने कहा, ‘क्लीनिकल ट्रायल बहु केंद्रित और अनेक जगहों पर होती हैं। हर साइट पर एक इंस्टिट्यूशन इथिक्स कमिटी होती है, जो कि सरकार या मैन्युफैक्चरर से स्वतंत्र होती है। किसी बुरे प्रभाव के बाद यह कमिटी उसका संज्ञान लेती है और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को रिपोर्ट भेजती है।’ उन्होंने साथ ही कहा कि भारत में पॉजिटिविटी रेट 7.15 फीसदी से घटकर 6.69 फीसदी हो गई है। उन्होंने कहा कि नए केसों की संख्या रिकवरी के मामलों से कम है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement