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मौलाना अरशद मदनी ने उठाई CAA वापसी की मांग, कहा- 'जैसे कृषि कानून वापस लिए, वैसे ही इसे भी लें'

मौलाना मदनी ने कहा कि अब प्रधानमंत्री को मुसलमानों के संबंध में लाए गए कानूनों पर भी ध्यान देना चाहिए।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : November 20, 2021 17:08 IST
मौलाना अरशद मदनी ने उठाई CAA वापसी की मांग, कहा- 'जैसे कृषि कानून वापस लिए, वैसे ही इसे भी लें'
Image Source : PTI मौलाना अरशद मदनी ने उठाई CAA वापसी की मांग, कहा- 'जैसे कृषि कानून वापस लिए, वैसे ही इसे भी लें'

Highlights

  • लोकतंत्र में असली शक्ति जनता है: अरशद मदनी
  • "लोगों ने किसानों के रूप में अपनी ताकत साबित की"
  • "किसी भी जन आंदोलन को जबरदस्ती कुचला नहीं जा सकता"

नई दिल्ली: जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत करते हुए सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019) कानून को वापस लेने की मांग उठाई है। मौलाना मदनी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारे देश का संविधान लोकतांत्रिक है, इसलिए यह अपनी जगह पर सही है, इसलिए अब प्रधानमंत्री को मुसलमानों के संबंध में लाए गए कानूनों पर भी ध्यान देना चाहिए और कृषि कानूनों की तरह सीएए कानून को भी वापस लिया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने कहा कि आंदोलन में शामिल लोग कोरोना के कारण अपने घरों को लौट आए थे, फिर भी वे विरोध कर रहे थे।

मौलाना मदनी ने कहा कि इस फैसले ने साबित कर दिया कि लोकतंत्र और जनता की शक्ति सर्वोपरि है और लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। जो सोचते हैं कि सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, लोकतंत्र में असली शक्ति जनता है। लोगों ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत साबित की है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन की सफलता बताती है कि किसी भी जन आंदोलन को जबरदस्ती कुचला नहीं जा सकता।

इसके साथ ही, उन्होंने किसानों के आंदोलन को सीएए के विरोध प्रदर्शन से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि इस सच्चाई से इंकार नहीं किया सकता है कि किसानों के लिए इतना मजबूत आंदोलन चलाने का रास्ता सीएए के खिलाफ आंदोलन में मिला। महिलाएं, बुजुर्ग महिलाएं भी दिन-रात सड़कों पर बैठी रहीं, आंदोलन में शामिल होने वालों पर जुल्म के पहाड़ टूटे, गंभीर मुकदमे दर्ज किए गए लेकिन आंदोलन को कुचला नहीं जा सका।

मदनी ने कहा कृषि कानूनों की वापसी के लिए हमारे किसान भाई बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने इसके लिए महान बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर सच्चाई सामने आ गई है कि अगर किसी जायज मकसद के लिए ईमानदारी और धैर्य के साथ आंदोलन चलाया जाए तो एक दिन भी बिना सफलता के नहीं जाता है।

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