नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ सरकार ने बड़ा ऐक्शन लिया है। सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर कार्रवाई करते हुए उसके 70 खाते सील कर दिए हैं। इसके साथ ही जमात-ए-इस्लामी के 52 करोड़ कैश भी फ्रीज कर दिया गया है। इस कार्रवाई में हजार से ज्यादा धार्मिक संस्थान भी सील कर दिए गए हैं और जमात-ए-इस्लामी के 200 मेंबर हिरासत में ले लिए गए हैं।
बता दें कि सरकार ने शुक्रवार को इंस्पेक्टर जनरल और जिला मैजिस्ट्रेटों को जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने की इजाजत दे दी थी। 350 से ज्यादा सदस्यों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था। संगठन घाटी में 400 स्कूल, 350 मस्जिदें और 1000 सेमिनरी चलाता है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि संगठन के पास ₹4,500 करोड़ की संपत्ति होने की संभावना है जिसकी जांच के बाद यह पता चलेगा कि यह वैध है या अवैध।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर 5 साल के प्रतिबंध की घोषणा की है। मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में यह कहा है कि जमात-ए-इस्लामी ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है जो कि आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए खतरा हैं। ऐसे में केंद्र सरकार इसे एक कानून विरूद्ध संगठन घोषित करती है।
जमात-ए-इस्लामी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में बड़े स्तर पर फंडिंग करता था। ऐसी तमाम जानकारियों के बाद गृह मंत्रालय ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया।
क्या है जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी कश्मीर घाटी में अलगावादियों और कट्टरपंथियों के प्रचार-प्रसार के लिए जिम्मेदार मुख्य संगठन है और वह हिजबुल मुजाहिदीन को रंगरूटों की भर्ती, उसके लिए धन की व्यवस्था, आश्रय और साजो-सामान के संबंध में सभी प्रकार का सहयोग देता आ रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक खास तौर पर दक्षिण कश्मीर क्षेत्र में जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता हैं और हिजबुल मुजाहिदीन पाकिस्तान के सहयोग से प्रशिक्षण देने के साथ ही हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी पर कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों की सक्रिय अगुआई करने का आरोप है।