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मसूद अजहर 1994 में दिल्ली के अशोक, जनपथ होटलों में ठहरा था

आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक मसूद अजहर जनवरी 1994 में जब पहली बार भारत आया था तो वह राजधानी के संभ्रांत इलाके चाणक्यपुरी इलाके में स्थित एक होटल में ठहरा था।

Reported by: PTI
Published on: March 14, 2019 21:14 IST
masood azhar- India TV Hindi
masood azhar

नई दिल्ली: आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक मसूद अजहर जनवरी 1994 में जब पहली बार भारत आया था तो वह राजधानी के संभ्रांत इलाके चाणक्यपुरी इलाके में स्थित एक होटल में ठहरा था। इसके साथ ही उसने अपने पुर्तगाली पासपोर्ट के संबंध में आव्रजन अधिकारियों को चकमा देते हुए दावा किया था कि वह ‘‘जन्म से गुजराती’’ है।

पाकिस्तान के इस आतंकवादी को अगले दो सप्ताह के अंदर ही जम्मू कश्मीर में गिरफ्तार कर लिया गया था। उसकी आव्रजन रिपोर्ट के अनुसार वह होटल जनपथ में भी ठहरा था और उसने लखनऊ, सहारनपुर और देवबंद का भी दौरा किया था।

अजहर का संगठन 2001 में संसद पर हमला, पिछले महीले पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमला सहित कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है। अजहर बांग्लादेश की यात्रा के बाद नकली पुर्तगाली पासपोर्ट पर भारत आया था। सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध आव्रजन रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘मैं दो दिन ढाका में रहा और उसके बाद बांग्लादेश एयरलाइंस से दिल्ली की यात्रा की। 29 जनवरी 1994 को तड़के आईजीआई हवाई अड्डा पहुंचा। हवाई अड्डा पर आव्रजन अधिकारियों ने कहा कि मैं पुर्तगाली नहीं दिखता लेकिन जब मैंने कहा कि मैं जन्म से गुजराती हूं, तब उन्होंने मेरे पासपोर्ट पर मुहर लगा दी।’’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘मैंने एक टैक्सी ली और चालक से एक अच्छा होटल चलने को कहा। मुझे चाणक्यपुरी में अशोक होटल ले जाया गया जहां मैं ठहरा।’’ अजहर ने पूछताछ करने वाले अधिकारियों से कहा कि उसने रात में अशरफ डार को फोन किया जो कश्मीरी था। वह आतंकवादी संगठन हरकत-उल-अंसार के सदस्य अबु महमूद के साथ अशोक होटल आया। अजहर उन दोनों के साथ देवबंद और वहां से सहारनपुर गया।

31 जनवरी, 1994 को दिल्ली लौटने के बाद वह होटल जनपथ में ठहरा जो कनॉट प्लेस के पास है। इसके बाद वह लखनऊ गया। लेकिन उसने कहीं भी अपनी असली पहचान नहीं बताई। लखनऊ से लौटने के बाद वह करोल बाग में होटल शीशमहल में रूका। इन सभी होटलों में उसने अपनी पहचान पुर्तगाली नागरिक वली अदम इस्सा बताई।

वह नौ फरवरी 1994 को श्रीनगर पहुंचा और अशरफ डार उसे लाल बाजार में मदरसा कासमियान ले गया। वहां उसके लिए एक कमरे की व्यवस्था की गई थी। बाद में उसे सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। उसे 1999 में इंडियन एयरलाइंस के एक विमान के अपहरण के बाद यात्रियों की रिहाई के बदले दो अन्य आतंकवादियों के साथ रिहा किया गया था।

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