नई दिल्ली: महाराष्ट्र में मराठाओं को आरक्षण देने की मांग को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन ने मंगलवार को हिंसक रूप अख्तियार कर लिया, जिसकी चपेट में आकर एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और दो अन्य लोग घायल हो गए। पत्थरबाजी में मारे गए पुलिसकर्मी की पहचान श्याम काडगावकर के तौर पर हुई है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में मराठा क्रांति द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने औरंगाबाद जिले के कैगांव में एक दमकल वाहन में आग लगा दी। यहां एक 28 वर्षीय काकासाहेब दत्तात्रेय शिंदे ने सोमवार शाम आरक्षण की मांग को लेकर गोदावरी नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
शिंदे की मौत के प्रतिक्रियास्वरूप राज्य में कई जगहों पर बंद किया गया, सड़क और रेल मार्गो में व्यवधान उत्पन्न किया गया। कई जगह जुलूस निकाले गए और आगजनी की घटनाएं हुईं। औरंगाबाद में दमकल विभाग के एक वाहन को लगा दिया गया और हिंगोली में भी एक पुलिस जीप में आग लगा दी गई। यह मामला शिवसेना सांसद विनायक राउत ने लोकसभा में भी उठाया। कांग्रेस के अशोक चव्हाण और सचिन सावंत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जितेंद्र अव्हाड और अन्य समेत सभी बड़े राजनीतिक दलों ने सत्तारूढ़ भाजपा सरकार से मराठा आरक्षण के मुद्दे को तत्काल सुलझाने का आग्रह किया है। कई मराठा समूहों ने नौ अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाने के लिए महाराष्ट्र बंद की घोषणा की है।
इससे पहले नवी मुंबई में बीती रात आरक्षण की मांग पर आंदोलनकारी हिंसक हो उठे और टायरों में आग लगाकर ट्रैफिक रोकने की कोशिश की। पुणे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडण्वीस एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। आंदोलनकारी वहां भी पहुंच गये और ऐसा हंगामा किया कि सीएम को कार्यक्रम के बीच से ही जाना पड़ा। परभणी में भी बस डिपो पर हमला किया गया। सड़कों पर खड़ी बस में तोड़फोड़ की गई, आग लगा दी गई।
हंगामें तोड़फोड़ और आगजनी की शुरुआत इस बार औरंगाबाद से हुई। औरंगाबाद में आरक्षण की मांग करने वाले आंदोलनकारी जलसमाधि लेने वाले थे। उनका कहना था कि पहले आरक्षण की व्यवस्था हो उसके बाद कोई भर्तियां हो। पता नहीं कहां चूक हो गई। काका साहेब दत्तात्रेय शिंदे नाम का एक शख्स ने गोदवारी नदी में छलांग लगा दी। उसे नदी से निकालकर अस्पताल ले जाया गया लेकिर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। थोड़ी ही देर में उनकी मौत की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई।
शिंदे की मौत के बाद महाराष्ट्र के कई हिस्सों में नये सिरे से प्रदर्शन शुरु हो गया है और विपक्ष के नेताओं ने भाजपा नीत राज्य सरकार पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश की है। परभनी जिले के गंगाखेद तहसील में प्रदर्शनकारियों ने अहमदनगर-औरंगाबाद राजमार्ग जाम कर दिया और पुलिस वाहन एवं बस समेत कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया। प्रदर्शनकारियों ने मराठों के लिए तत्काल आरक्षण की घोषणा तथा शिंदे के परिवार के लिए 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की।
बता दें कि साल 2016 में मराठा समुदाय ने आरक्षण के लिए मराठा क्रांति मोर्चा' बनाया था। इस मोर्चा के तहत ओबीसी कोटे में नौकरी में आरक्षण की मांग की गई। पिछले दिनों सरकार की तरफ से 72 हजार नौकरियों का ऐलान किया गया है लेकिन मराठा संगठनों का कहना है कि पहले रिजर्वेशन मिले फिर भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जबकि महाराष्ट्र सरकार कहती है मामला हाईकोर्ट में लंबित है।
सरकार की यही बात आंदोलनकारी समझ नहीं पा रहे। उनका कहना है कि सरकार जानबूझ कर कोर्ट में मामले को लटका रही है। 3 घंटे के हंगामें के बाद ही सरकार को आरक्षण की आग की आंच महसूस हो गई है इसलिए सरकार ने काका साहेब दत्तात्रेय शिंदे के परिवार वालों को 25 लाख देने का ऐलान कर दिया, नौकरी का आश्वासन भी दिया गया लेकिन सवाल है ऐसा क्यों हो रहा है। अलग-अलग राज्यों में बार-बार सियासी पार्टियां ओबीसी कोटे में अलग से आरक्षण का वादा करके क्यों आग से खेलती है।