नई दिल्ली। इंडिया टीवी के विशेष कार्यक्रम 'इस्लाम को यूं बदनाम न करो' में खालिद रशीदी फिरंगी महली, शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद और manuu के चांसलर फिरोज बख्त अहमद ने कहा कि तबलीगी जमात के लोग डॉक्टरों के साथ जिस तरह का व्यव्हार कर रहे हैं वह ठीक नहीं है। तीनों लोगों ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में पीएम मोदी द्वारा दिए गए 3 मंत्र (जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन और आगामी 5 अप्रैल को रात में दिए जलाने) को अपनाने का आवाह्न किया। तीनों लोगों ने कहा एकजुट होकर कहा कि सरकार की बातों को लोगों से ध्यान से सुनना चाहिए और उन्हें मानना चाहिए। तीनों लोगों ने एकमत होकर कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जारी सरकार की जंग में हम सबको सहयोग करना चाहिए और सरकार की बातों को मानना चाहिए।
इंडिया टीवी के विशेष कार्यक्रम 'इस्लाम को यूं बदनाम न करो' में manuu के चांसलर फिरोज बख्त अहमद ने कहा कि 'जो चीजें हमारी कम्युनिटी से आ रही हैं खास तौर पर तबलीगी जमात की तरफ से, उन्होंने अबतक जो काम किया है 100 साल तक इन हरकतों की वजह से वह सारा काम चौपट हो गया। गाजियाबाद में जमात के लोग थूक रहे थे, नंगे घूम रहे ते, पेशाब कर रहे थे, ये सब क्या है, आप किस तरह का परसेप्शन इस्लाम और मुसलमानों का बना रहे हैं, इस्लाम और मुसलमान इस तरह के नहीं होते, पैगंबर मोहम्द जिस तरह के शक्श थे ये सब उसके विपरीत है।'
इंडिया टीवी के विशेष कार्यक्रम 'इस्लाम को यूं बदनाम न करो' में खालिद रशीदी फिरंगी महली ने कहा कि 'इस्लाम में महिला के बारे में कहा गया है कि मां के पैरों के नीचे जन्नत होती है, अगर हम यह नहीं समझ सकते और महिलाओं और नर्सों के साथ दुर्व्यव्हार कर रहे हैं तो ऐसे लोगों के बारे में क्या कहा जा सकता है। जो अपने लिए और दूसरों की हिफाजत के लिए अपने घर में रहता है तो उसकी मदद अल्लाह करता है, पैगंबर साबह ने यह फरमाया है। प्रधानमंत्री साहब ने 5 अप्रैल के लिए जो अपील की है तो सभी लोग उसपर अमल करेंगे, यह किसी एक मजहब के मानने वालों के लिए नहीं है बल्कि पूरे देश के लिए अपील है।' खालिद रशीदी फिरंगी महली ने कहा कि इस्लाम में नमाज फर्ज है लेकिन इसके लिए किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। इस्लाम में कहा गया है कि नमाज के लिए ये जरूरी नहीं है कि बिना मस्जिद जाए नमाज नहीं पढ़ी जा सकती बल्कि यदि कोई दिक्कत है तो नमाज घर पर भी पढ़ी जा सकती है।
इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'इस्लाम को यूं बदनाम न करो' में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि 'हमने पहले भी लोगों से कोरोना वायरस के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की, अगर कुछ लोग इस्लाम के खिलाफ काम कर रहे हैं और लोगों के साथ गलत व्यव्हार कर रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं की पूरा समुदाय ऐसा ही हो। इस्लाम में सबसे ज्यादा अहमियत इंसान की जान को दी गई है। कोई इंशान अगर किसी दूसरे इंसान की जान बचाता हो तो वो ऐसा है कि उसने पूरी इंशानियत को बचाया है। पैगंबर ने इस्लाम में सबसे ज्यादा इस बात पर जोर दिया है कि सबसे अच्छा व्यक्ति वो है जिसका रवैया दूसरों के साथ सबसे अच्छा हो, दूसरों के साथ जिन लोगों का रवैया अच्छा नहीं है, तो इस्लाम में उसकी निंदा की गई है।' कल्बे जवाद ने कहा कि इस्लाम में अपनी जान की हिफाजत करना जरूरी है और दूसरों की जान की हिफाजत करना भी जरूर है, नमाज पढ़ना बहुत जरूरी है, लेकिन नमाज पढ़ते समय आपको किसी की जान जाती हुई दिख रही हो तो इस्लाम में नमाज तोड़कर उसकी जान बचाने की बात कही गई है।