नई दिल्ली: 12वीं के रिजल्ट आने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तय किया कि इस बात का प्रचार प्रसार किया जाएगा कि किस तरह से सीमित संसाधनों में दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों के बच्चों ने 12वीं की परीक्षा में बाजी मारी है।
इसके लिए मनीष सिसोदिया ने एक स्क्रिप्ट भी तैयार की और उसे दिल्ली सरकार के विज्ञापन विभाग को भेज दिया। दिल्ली सरकार के विज्ञापन विभाग के सचिव डॉक्टर जयदेव सारंगी ने जब स्क्रिप्ट देखी तो उस स्क्रिप्ट में लिखी बातों की जांच के लिए उन्होंने शिक्षा विभाग को पत्र लिखा जिसमें इस बात का जिक्र किया कि क्या जो बातें विज्ञापन के लिए लिखी गई है क्यो वो सही है।
इस पर शिक्षा विभाग ने जो जानकारी दी उसके हिसाब से फिर स्क्रिप्ट में बदलाव किए गए। मनीष सिसोदिया ने जो स्क्रिप्ट लिखी थी उसमें इस बात की जानकारी दी गई थी कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में 372 बच्चों ने JEE-mains इंजीनियरिंग का एक्जाम पास किया है। ये भी अपने आप में रिकॉर्ड है। जबकि शिक्षा विभाग के मुताबकि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। बाद में स्क्रिप्ट को बदला गया और रिकॉर्ड की जगह सराहनीय शब्द रखा गया।
इसी तरह मनीष सोसोदिया ने अपने स्क्रिप्ट में लिखा कि सरकारी स्कूलों के 12वीं के नतीजे, प्राइवेट स्कूलों से कहीं ज्यादा अच्छे आये हैं। इस पर शिक्षा विभाग ने जो जानकारी दी उसके बाद स्क्रिप्ट में बदलाव किया गया और वहां कहीं ज्यादा अच्छे की जगह ‘ज्यादा अच्छे आये हैं’ शब्द लिखा गया।
अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार सरकार ने अपनी वाहवाही लूटने के लिए क्या गलत आंकड़ों का इस्तेमाल किया? दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बताया कि ये सरकार झूठे आंकड़ों के जरिए अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश कर रही है ये गलत है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत क्या है ये किसी से छिपी नहीं है।
वैसे शिक्षा विभाग से जब शिक्षा सचिव ने मनीष सिसोदिया के स्क्रिप्ट में कंटेन्ट को सर्टिफाई करके दोबारा से भेजा तब कहीं जाकर ये विज्ञापन छपा लेकिन सवाल उठता है... एक बार फिर क्या ये महज अनजाने में हो गई गलती थी या फिर अपने सरकार की छवि तो दुरुस्त करने के लिए जानबूझ कर जानकारी गलत तरीके से पेश की गई।