Monday, December 23, 2024
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TMC MP नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने 'आप की अदालत' में कहा, 'ममता दीदी रोज चंडी पाठ करती हैं, जिक्र नहीं होता'

बंगाली फिल्म अभिनेत्री से सांसद बनी नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने कहा है कि उनकी नेता ममता बनर्जी 'रोज सुबह चंडीपाठ करके घर से निकलती हैं, लेकिन इसका जिक्र कोई क्यों नहीं करता?'

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : July 13, 2019 23:57 IST
Trinamool actor-turned-MPs Nusrat Jahan and Mimi Chakraborty in 'Aap Ki Adalat' show
Image Source : INDIA TV Trinamool actor-turned-MPs Nusrat Jahan and Mimi Chakraborty in 'Aap Ki Adalat' show

नई दिल्ली: बंगाली फिल्म अभिनेत्री से सांसद बनी नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने कहा है कि उनकी नेता ममता बनर्जी 'रोज सुबह चंडीपाठ करके घर से निकलती हैं, लेकिन इसका जिक्र कोई क्यों नहीं करता?' इंडिया टीवी पर शनिवार (13 जुलाई) रात 10 बजे प्रसारित होनेवाले शो 'आप की अदालत' में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए, दोनों सांसदों ने इन आरोपों को गलत ठहराया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए काम कर रही हैं।

दीदी सभी धर्मों में समानता लाना चाहती हैं

'जिस तरीके से लोग (बंगाल में विपक्ष के लोग) मेरे पीछे पड़े हैं, उसी तरीके से लोग दीदी के पीछे पड़े हैं। बहुत बार दीदी को ममता बेगम, ममता खातून कहा गया। दीदी सभी धर्मों में समानता लाना चाहती हैं। कोई क्यों नहीं देखता कि दीदी मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए कहां-कहां जाती हैं। वह रोज सुबह चंडीपाठ करके घर से निकलती हैं। ये कोई क्यों नहीं देखता ?'

भगवान का नाम लेना कोई गुनाह नहीं
रजत शर्मा द्वारा यह पूछे जाने पर कि ममता बनर्जी एक बार 'जय श्री राम' के नारे लगाने पर प्रदर्शनकारियों पर क्यों नाराज हुईं तो नुसरत जहां ने कहा: 'भगवान का नाम लेना कोई गुनाह वैसे है नहीं, पर भगवान का नाम अगर कोई पॉलिटिकली इनवॉल्वड करके लेता है, और इस इंटेन्शन से लेता है कि आप किसी को थोड़ा परेशान करोगे, तो वो गलत है। मैं बहुत न्यूट्रल ग्राउंड से आज ये बात बोल रही हूं।' 

दीदी आखिर मुख्यमंत्री हैं, लोग उनका सम्मान करें

अगर मैं रोज सुबह अल्लाहू-अकबर, अल्लाहू-अकबर करती रहूं और उसको पॉलिटिकल स्याही का रूप देकर करती रहूं, तो लोगों को पसंद नहीं आएगी। एक दिन आप भी चिड़चिड़े हो जाएंगे और चिल्लाएंगे मुझ पर। ममता दीदी आखिर मुख्यमंत्री हैं, लोग उनका सम्मान करें।'

दीदी तो फाइटिंग स्पिरिट से हमेशा आगे जाती हैं
रजत शर्मा ने जब कहा, मुख्यमंत्री ने तो प्रदर्शनकारियों को जेल तक भेजने की धमकी दी, नुसरत जहां ने जवाब दिया: 'किसी को जेल नहीं भेजा गया। दीदी तो फाइटिंग स्पिरिट (fighting spirit) से हमेशा आगे जाती हैं। बात Portrayal (चित्रण) को लेकर हो रही है। अगर Portrayal हो गया कि जय श्रीराम हमारे अपोजीशन का नारा है, ये नारा चिढ़ाने के लिए बोलोगे तो अलग बात है। आप भगवान का नाम लो, 'जय श्री राम' या 'मां काली' बोलो, पर आप इसे सियासी रूप नहीं दे सकते।'

ईद पर मुझे 10 हजार से ज्यादा 'जय श्रीराम' के मैसेज आए
नुसरत जहां ने खुलासा किया कि ईद-उल-फितर के दिन उन्हें 10 हजार से ज्यादा 'जय श्री राम' के संदेश मिले। उन्होंने कहा, 'मुझे 10 हजार से ज्यादा 'जय श्रीराम' के मैसेज आए, ईद वाले दिन। ईद मुबारक भेजने वाले कम, जय श्री राम भेजने वाले ज्यादा। मैंने सबको धन्यवाद दिया। मुझे इस बात की खुशी है।' 

सिंदूर-मंगलसूत्र से मेरा ईमान नहीं डगमगाता
बरेली के एक उलेमा के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि नुसरत जहां अब मुस्लिम नहीं है क्योंकि उसने जैन युवक से शादी की और हिंदू रिवाजों के मुताबिक 'सिंदूर' लगाया और चूड़ियां पहनी, नुसरत जहां ने कहा: 'किसी को हक नहीं ये कहे कि मुझसे मेरा धर्म छीन लिया जाए या मुझसे मेरा ईमान छीन लिया जाय। अगर मैं अल्लाताला के साथ डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में नहीं हूं, तो मुझे उम्मीद है कि और कोई भी नहीं है। इसलिए कोई किसी का मजहब नहीं छीन सकता, मजहब हमारी अपनी बात है और मेरा ईमान पक्का है। मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र पहनने से मेरा ईमान नहीं डगमगाता है, ये मैं उन्हें कह देना चाहती हूं।'

रिलिजन दिल से होना चाहिए
नुसरत जहां ने हाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बंगाल में रथयात्रा के दौरान मंगल आरती की थी। उन्होंने कहा: 'मैंने पहले भी मायापुर (पश्चिम बंगाल) में जगन्नाथ रथ खींचा था, उस समय मेरी शादी नहीं हुई थी। उस समय लोगों ने कहा नुसरत ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया, तो ये उनकी सोच है। वास्तव में (genuinely feel) रिलिजन (religion) दिल से होना चाहिए, दिमाग से नहीं। थोड़ा दिल लगाएं, मज़ा आएगा।'

मजहब दिल से होता है
तृणमूल सांसद ने कहा: 'इस्लाम तो मेरा मजहब है, जो मैंने अपने पापा, अपनी फैमिली से पाया है। मजहब दिल से होता है, मेरे पापा ने मुझे यही सिखाया। मैंने हदीस और कुरान पढ़ी है। मेरे पापा ने मुझे पढ़ाया कि धर्म दिल से आता है।'

मुहब्बत का पाठ तो मौलाना और पंडितों को भी सीखना चाहिए
'मेरे पापा हाजी साहब हैं। शादी के बाद जब मैं ट्रोल हुई तो लोगों ने कहा कि हाजी साहब की बेटी होके किस तरह का बर्ताव आपने कर दिया कि आपने एक गैर मुसलमान लड़के से शादी कर ली। Love has no language (प्यार की कोई भाषा नहीं होती), मैं ये बात इन लोगों को कैसे समझाऊं। थोड़ी सी change (बदलाव) की जरूरत है, जो मैंने initiate (शुरुआत) कर दिया है, बाकी अवाम ने साथ दिया है। May be someday they will start thinking, may be New Age India is thinking..(हो सकता है किसी दिन वे सोचना शुरू कर देंगे, हो सकता है कि न्यू एज इंडिया इसके बारे में सोच रहा हो..) मुहब्बत का पाठ तो मौलाना और पंडितों को भी सीखना चाहिए।' 

 मैंने कुछ गलत नहीं किया किसी और रिलीजन का सम्मान कर
यह पूछे जाने पर कि लोकसभा में सांसद की शपथ के दौरान उन्होंने मंगल सूत्र क्यों पहन रखा था और माथे पर सिंदूर क्यों लगाई थी, नुसरत जहां ने कहा: 'I am an Indian first. I respect all religions. ( मैं सबसे पहले एक भारतीय हूं। मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं)। मेरी शादी अभी हुई है, मुझे भी सारा इंडियन कल्चर को अच्छे से embrace (समाहित) करना था। मुझे बिल्कुल नहीं लगा एक बार कि मैंने कुछ गलत किया है, किसी और रिलीजन का सम्मान कर। I genuinely feel that it is high time we all start adopting new Indian culture. (वास्तव में मुझे लगता है कि यह सही समय है जब हम सभी नई भारतीय संस्कृति को अपनाना शुरू करते हैं)।

दो महीने तक अपने रूम से बाहर नहीं निकली
फरवरी 2012 के कोलकाता पार्क स्ट्रीट गैंगरेप केस के बारे में नुसरत जहां ने कहा: 'मैं छोटी थी उस वक्त। मैं किसी को बचाने वाली, फंसाने वाली कौन होती हूं। हां,  उससे एक रिश्ता था, फैमिली इन्वॉल्वड थी। पर गलती का साथ तो मैं नहीं दे सकती, न मेरे परिवार ने दिया है।'

'एक समय था जब मैं दो महीने तक अपने रूम से बाहर नहीं निकली। मुझे इतना डर लग रहा था। सारे लोगों ने, रिश्तेदारों ने साथ छोड़ दिया था। मुझे समझ में नहीं आया मैं क्या करूं। emotional distress (भावनात्मक त्रासदी) से गुजर रही थी। पापा बस नमाज़ में बैठे हाथ उठा कर दुआ करते थे। रात को सोते वक्त भगवान से बोलती थी कि मुझे इतनी हिम्मत दे दो कि मैं घर का दरवाजा खोल कर बाहर निकल सकूं। जहां भी जाती, लोग कहते कि ये पार्क स्ट्रीट वाली लडकी है। It worked for me. It helped me in moving forward in life, break all barriers and beyond everything, which is what I am today.' (इसने मेरे लिए काम किया। इसने मुझे जीवन में आगे बढ़ने, सभी बाधाओं को तोड़ने और हर चीज से परे रहने में मदद की, जो कि मैं आज हूं)।

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