भारत और चीन के सैनिकों के बीच सोमवार रात हुई खूनी झड़प के बाद एक बाद फिर दोनों देशों ने माहौल में नरमी लाने के संकेत दिए हैं। दोनों देश एक बार फिर बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं।गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच मेजर जनरल के अधिकारी स्तर की बातचीत शुरू हो गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत की ओर से 3 डिवीजन के जनरल आफ कमांड मेजर जनरल बपिता भारत की ओर से बैठक का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
बता दें कि सोमवार को करीब आठ घंटे चली भारत और चीन के सैनिकों के बीच की झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। शहीदों में भारतीय सेना के कर्नल भी शामिल हैं। वहीं चीन की ओर से भी इस झड़प में भारी नुकसान की खबरें आई हैं। चीन के 43 सैनिक इस झड़प में ढेर हुए हैं। इसमें चीन का एक कमांडिंग अफसर भी शामिल है। हालांकि चीन की ओर से अभी तक सैनिकों की मौत पर कोई पुष्टि नहीं की गई है। अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि चीन के करीब 35 से ज्यादा सैनिक इस झड़प में हताहत हुए हैं।
सीमा पर संघर्ष को लेकर दिल्ली में भी हलचल तेज हो गई है। आज सुबह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत, तीनों सर्विस चीफ़ के साथ पूरे फ़ेस ऑफ़ को लेकर हाई लेवल मीटिंग हुई। सूत्र बता रहे हैं कि इसमें कुछ कड़े फ़ैसले लिए जाने की उम्मीद है। इसके साथ में डिप्लोमैटिक चैनल के ज़रिए बातचीत जारी रहेगी। चीन को अप्रैल 2020 के स्टेटस को को मानना पड़ेगा और कहीं से भी रोड कंस्ट्रक्शन नहीं रोकेगा।
सेना के सूत्रों के अनुसार भारत की पूरी कोशिश है कि वह सीमा पर डटे चीनी सैनिकों को भारतीय सेना की मजबूती का प्रदर्शन करे। यही ध्यान में रखते हुए सेना को 'इमरजेंसी पावर' दे दी गई है। सरकार ने मौजूदा परिस्थिति के अनुसार सीमा पर सैनिकों और हथियारों की मौजूदगी का पूरा अधिकार दे दिया है। माना जा रहा है कि सीमा पर सैनिकों की अधिक मौजूदगी के बाद ही बातचीत की मेज पर भारत का पलड़ा चीन के बराबर हो सकता है।