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महात्मा गांधी को एक बच्ची ने बताया था 'सेवा' का अर्थ: मोहन भागवत

केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने समाज के कमजोर वर्गो के उत्थान में आपसी सहयोग का आह्वान करते हुए एक दृष्टांत के जरिए बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 'सेवा' को बोझ

IANS
Published on: February 10, 2017 20:53 IST
Mohan bhagwat- India TV Hindi
Image Source : PTI Mohan bhagwat

भोपाल: केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने समाज के कमजोर वर्गो के उत्थान में आपसी सहयोग का आह्वान करते हुए एक दृष्टांत के जरिए बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 'सेवा' को बोझ समझते थे, उन्हें 10 साल की एक बच्ची ने बताया था कि सच्ची सेवा क्या है। 

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संत रविदास जयंती के मौके पर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लाल परेड मैदान में शुक्रवार को संघ से संबद्ध सेवा भारती के रजत जयंती वर्ष पर आयोजित श्रम साधक संगम (सम्मेलन) में भागवत ने इस संगठन के कार्यो की सराहना की और सेवा भारती के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा, "हिंदू समाज कुटुंब के समान है, इस कुटुंब में एक को मिले और बाकी को नहीं मिले, यह नहीं चलेगा। जिनको मिला है वह दूसरों को देने की कोशिश करें, यह बोझ नहीं है, यह सेवा की बात है।"

सेवा को परिभाषित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि सेवा अपनेपन के भाव के चलते हो जाती है। यह करनी नहीं पड़ती, बल्कि अपने आप हो जाती है, सेवा का बोझ नहीं होता।उन्होंने एक दृष्टांत देते हुए कहा, "पुणे में एक बार महात्मा गांधी पहाड़ी से उतर रहे थे, तो उन्होंने 10 साल की एक बालिका को पांच साल के भाई को कंधे पर बैठाए देखा तो कहा कि उसे कंधे से उतारो, वह चल सकता है, बोझ क्यों ढो रही हो। तब उस बालिका ने गांधी से कहा था कि क्या बात कर रहे हैं आप, अपना भाई बोझ होता है क्या?"

संघ प्रमुख ने श्रम साधकों को समझाया कि अपनों की सेवा कोई बोझ नहीं होती। उन्होंने कहा कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता, जिस देश में श्रम का सम्मान होता है, वही देश प्रगति करता है, संत रविदास जी का भी संदेश है कि अपने श्रम को कम मानो, क्योंकि समाज को उसकी जरूरत है। आपको बता दें कि भागवत राज्य के आठ दिवसीय दौरे पर हैं। 

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