बेंगलुरु: सौ वर्ष की आयु पार कर चुके प्रख्यात कोशकार प्रो. जी वेंकटसुबैया ने गांधी जयंती के अवसर पर 1927 की एक घटना को याद किया और बताया कि हिंदी में दिए महात्मा गांधी के सिर्फ 10 मिनट के भाषण का मतलब समझ कर किस तरह से महिलाओं ने अपने गहने स्वाधीनता संघर्ष के लिए दान कर दिए।
उन्होंने बताया कि गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कर्नाटक के मधुगिरि (वर्तमान तुमकुर जिला) में एक सभा को सिर्फ 10 मिनट हिंदी में संबोधित किया था। वहां मौजूद लोगों में ज्यादातर लोग उसे समझ नहीं पाए थे, लेकिन उनके लहजे से उनका संदेश लोगों तक पहुंच गया और काफी चंदा एकत्र हो गया।
वेंकटसुबैया की उम्र 105 साल बताई जाती है। उन्होंने शहर में शारदा स्त्री समाज में गांधी जी की 149 वीं जयंती मनाए जाने के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि लोग उस सभा में महज गांधी जी को सुनने के लिए आए थे। लोग अपने साथ नकद लेकर नहीं आए थे। उन्हें इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि इस तरह की चैरिटी के लिए अपील की जाएगी।
उन्होंने बताया कि इसके बावजूद भी कार्यक्रम खत्म होने पर अग्रिम पंक्ति में मौजूद महिलाओं ने अपना सोने का हार, कंगन और अंगूठी दे दी।