नई दिल्ली: महाराष्ट्र के कोरेगांव में हिंसा की आग पर काबू तो पा लिया गया है लेकिन हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। पुणे से शुरू हुई हिंसा की आग महाराष्ट्र के कई हिस्सों तक पहुंची। एक तरफ जहां फड़नवीस सरकार ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों का दावा किया तो वहीं दलित संगठनों के महाराष्ट्र बंद के ऐलान ने मुंबईकरों की मुश्किलों को भी बढ़ा दिया है। बेवजह की अफवाह और राजनीति कैसे एक सिस्टम और लोगों की जिंदगी को हिलाकर रख देती है कोरेगांव हिंसा उसका जीता जागता सबूत है।
हर साल होने वाले शौर्य दिवस में दलित समाज अपने पूर्वजों की वीरता का जश्न धूमधाम से मनाता आया है लेकिन इस बार शौर्य दिवस पर राजनीति हावी हो गई और देखते ही देखते पूरा महाराष्ट्र कुरुक्षेत्र का मैदान बन गया। गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने जातिवाद के पुराने तार छेड़े तो कुछ दूसरे गुट को लोगों ने उसका विरोध भी किया और आग फैलती चली गई। नतीजा ये हुआ कि जिग्नेश के विरोधियों ने उनके खिलाफ केस दर्ज करवा दिया और दलित समाज ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान कर पूरे प्रदेश के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं।
पुणे से निकली अफवाह की आग महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों तक पहुंची तो प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस सामने आए और उन्होंने इस पूरी महाभारत के लिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराया। वहीं इस हिंसा पर सियासत भी शुरु हो गई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करके भाजपा को दलित विरोधी बताने की कोशिश की। राहुल ने लिखा, “ भारत के लिए आरएसएस और भाजपा का फासीवादी नज़रिया ही यही है कि दलितों को भारतीय समाज में सबसे निचले स्तर पर बने रहना चाहिए। उना, रोहित वेमुला और अब भीमा-कोरेगांव प्रतिरोध के सशक्त प्रतीक हैं।“
वहीं दलित संगठनों की तरफ से बंद के ऐलान के बाद सरकार मुस्तैद है। महाराष्ट्र राज्य परिवहन और स्कूल बस संगठनों की तरफ से बसों और छात्रों की सुरक्षा को लेकर गाइड लाइन्स जारी की गई हैं। प्रदेश में दो दिनों से जारी तनाव को देखते हुए आज करीब चालीस हजार स्कूली बसों को सड़कों पर नहीं उतारने का फैसला किया गया है। खासकर बसों को निशाना बनाने वाले उपद्रवियों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र राज्य परिवहन ने स्पेशल गाइड लाइन जारी की है।
महाराष्ट्र राज्य परिवहन विभाग ने बंद के मद्देनजर हर विभाग में कंट्रोल रूम बनाये जाने के निर्देश दिए हैं। बसों को जलाने, शीशे तोड़ने की कोशिश करने वालों की वीडियो बनाने की बात कही है। दो दिन की हिंसा में महाराष्ट्र राज्य परिवहन विभाग के 187 बसों को नुकसान पहुंचाया गया था। इसके अलावा 40 हजार स्कूल बसें सुबह के वक्त महाराष्ट्र में नहीं चलाई जाएंगी। स्कूली छात्रों और बसों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है। हालांकि महाराष्ट्र में बंद के ऐलान के बाद भी स्कूलों में छुट्टी की घोषणा नहीं हुई है।
लेकिन सबके ज़ेहन में ये सवाल ज़रूर है कि सदियों से शांति और प्यार से रहने वाले मराठा और दलित अचानक हिंसक क्यों हो गए? आखिर वो असल वजह क्या है जिसने 2018 के पहले दो दिनों को ही महाराष्ट्र के इतिहास में काले अक्षरों से लिख दिया? शासन-प्रशासन पूरे मामले की जांच की बात कह रहा है और शायद इसके बाद ही अफवाह की असल जड़ का पता सामने आ सकेगा।