मुम्बई: महाराष्ट्र में पानी की कमी अभी इतने खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंची है कि केंद्र को राज्य के लिए मुआवजे की घोषणा करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़े। यह बात बृहस्पतिवार को अधिकारियों ने कही। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि राज्य में इस मानसून में कम वर्षा हुई है लेकिन विभिन्न बांधों में जलस्तर इतने खतरनाक रूप से कम नहीं हुआ तथा फसल व्यापक पैमाने पर क्षतिग्रस्त नहीं हई है।
राज्य के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी किसान को मुआवजे के लिए विचार तब करेगी जब उसकी कुल बुवाई की कम से कम 33 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र जिन अन्य कारकों पर विचार करता है उनमें मिट्टी में नमी और कम बुवाई का प्रतिशत शामिल हैं। इन मानकों पर महाराष्ट्र ‘गंभीर’ श्रेणी में नहीं है।
राज्य के राहत एवं पुनर्वास विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि जब तक भूजल विभाग अपने आंकड़े जारी नहीं करता, हम यह नहीं कह सकते कि वर्षा से भूजल स्तर में बढ़ोतरी में मदद नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति के अनुसार पानी की कमी का सामना कर रहे विभिन्न गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए करीब 320 टैंकर लगाये गए हैं। गत वर्ष मात्र 78 टैंकर लगाये गए थे क्योंकि मानसून वापसी के
समय कुछ अच्छी वर्षा हुई थी। उन्होंने कहा कि फसलों को आंशिक क्षति हुई है लेकिन आंकड़े बहुत अधिक नहीं हैं। इस वर्ष छिटपुट अच्छी वर्षा से फसल बुवाई में मदद मिली थी। महाराष्ट्र में यदि अगले 10 से 15 दिनों में वर्षा नहीं होती तो कुछ फसलें खराब हो जाएंगी और रबी की बुवाई प्रभावित होगी।