नई दिल्ली: महाराष्ट्र के 17 जिलों को इन दिनों भयंकर सूखे का सामना करना पड़ रहा है। अभी अभी बारिश का सीजन खत्म हुआ है और इन जिलों में कुएं और तालाब सूख गए हैं। पानी की कमी से खेतों में खड़ी फसलें सूख रही हैं। नागपुर समेत पूरे विदर्भ में किसान बेहाल है। महाराष्ट्र के इन इलाकों में इस साल बारिश बेहद कम हुई है जिसकी वजह से ग्राउंड वाटर का लेवल भी काफी नीचे आ गया है।
विदर्भ के अमरावती और नागपुर में लोग तो अभी से पीने के पानी को तरसने लगे हैं। बांध खाली होने के कगार पर हैं और सबसे ज्यादा बुरा हाल मराठवाड़ा के लातूर का है। लातूर में इतनी कम बारिश हुई कि मांजरा डैम में सिर्फ 1 परसेंट पानी बचा है। न सिंचाई के लिए पानी है और न पीने के लिए। नगर निगम के पास पीने के पानी का सिर्फ कुछ दिन का स्टॉक बचा है। पानी में भारी कटौती शुरु हो चुकी है। पीने के पानी के लिए भी लंबी-लंबी लाइनें लग जाती हैं। लोगों को एक घड़ा पानी लाने के लिए कई-कई किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। लोगों ने बताया कि महीने में 15 दिन पानी आता है। पीने के पानी का इंतजाम तो मुश्किल से हो पा रहा है इसलिए सिंचाई के बारे में सोचना ही बेकार है। किसानों का कहना है कि मुनाफा तो दूर खेती में जो लागत लगी है वही निकल आए तो गनीमत है।
नागपुर में भी स्थिति बेहद खराब है। यहां जल स्तर काफी नीचे चला गया है। पानी की कमी के कारण फसल सूख रही है। आपको बता दें कि विदर्भ रीज़न में कपास, सोयाबीन और संतरे की खेती होती है। लेकिन पानी न होने के कारण फसल पीली पड़ गई हैं और उनमें कीड़े लग रहे हैं। नागपुर के अलावा भंडारा, गोंदिया, बुलढाना, अकोला...यवतमाल और वर्धा में भी किसान परेशान हैं। सरकार ने मध्य प्रदेश से पानी मांगा है। किसानों का कहना है जल्द पानी का इंतजाम नहीं हुआ तो जो फसल बची है वो सब बर्बाद हो जाएगी।
मराठवाडा के जलगांव में किसानों की हालत काफी दयनीय है। हालात ये है कि किसान अपने हाथों से खेत में खड़ी फसल उखाड़ कर फेंक रहे हैं। क्योंकि अगर फसल खेत में खड़ी रही तो वाटर लेवल और नीचे जाएगा। जलगांव में केले की पैदावर ज्यादा होती है। इसे बनाना कैपिटल भी कहा जाता है लेकिन इस बार केले की खेती करने वाले किसान ... खुद अपने ही हाथ से केले के पेड उखाड़ उखाड़ कर फेंक रहे हैं।