उज्जैन: दलितों के घोड़ी पर चढ़कर बारात निकालने पर दबंगों द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकने के मकसद से बारात निकालने से तीन दिन पहले थाने को सूचना देनी होगी। इस आशय का आदेश महिदपुर के अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) ने जारी किया है। इस पर सियासत भी गरमा गई है।
उज्जैन जिले के महिदपुर क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) जगदीश गोमे द्वारा पिछले दिनों जारी किया गया एक आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें जनजाति वर्ग के विवाह समारोहों को लेकर होने वाले विवादों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ग्राम पंचायत क्षेत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति या पिछड़ा वर्ग के परिवारों में विवाह कार्यक्रम आयोजित होते हैं या बाहर से बारात आती है तो तीन दिन पूर्व इस आयोजन की सूचना पुलिस को दें।
आदेश में आगे कहा गया है कि आयोजन की सूचना हेड कांस्टेबल को दें ताकि, उसे निर्धारित पंजी में दर्ज किया जा सके। इसके साथ ही अगर कोई घटना घटित होती है तो उसकी सूचना तुरंत थाना प्रभारी को दें, ताकि उचित कार्यवाही की जा सके।
एसडीएम महिदपुर के इस आदेश के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रदेश की शिवराज सरकार अंग्रेजों के कानून लागू कर रही है। महिदपुर प्रशासन के तुगलकी आदेश के चलते दलितों को अब बारात निकालने के लिए थाने से अनुमति लेनी होगी, ऐसा तो अंग्रेजों के राज में, गुलामी के दौर में भी नहीं हुआ था।
सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा एक तरफ दलितों के घर जाकर खाना खाने और रात में रुकने का पाखंड कर रही है, दूसरी ओर इस तरह के आदेश निकाल रही है, जिससे वे खुद को अपमानित महसूस करें। बारात निकालने के लिए थाने की अनुमति लेने का आदेश प्रदेश के सामाजिक समरसता के वातावरण के लिए कलंक है।
दलितों के बारात निकालने से पहले अनुमति लेने और सूचना देने संबंधी आदेश पर वस्तुस्थिति जानने के लिए जिलाधिकारी मनीष सिंह से कई बार संपर्क किया गया, मोबाइल पर संदेश भी दिया गया, मगर उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया।