Tuesday, November 05, 2024
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मध्य प्रदेश: होली पर 'महाराज' ने दिया कांग्रेस को झटका, कमलनाथ के पैरों तले खिसकी जमीन!

ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से नाराजगी ने मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया। मध्य प्रदेश की सियासत के लिहाज से मंगलवार को होली के गुलाल में सियासत का रंग ऐसा उड़ा कि बड़े-बड़े सियासतदान खड़े-खड़े देखते रहे और जब तक हालात समझ में आए तब तक सत्ता के समीकरण इधर के उधर हो चुके थे।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 10, 2020 23:58 IST
मंगलवार को मध्य प्रदेश की सियासत में खूब हलचल हुई।- India TV Hindi
मंगलवार को मध्य प्रदेश की सियासत में खूब हलचल हुई।

नई दिल्ली/भोपाल: ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से नाराजगी ने मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया। मध्य प्रदेश की सियासत के लिहाज से मंगलवार को होली के गुलाल में सियासत का रंग ऐसा उड़ा कि बड़े-बड़े सियासतदान खड़े-खड़े देखते रहे और जब तक हालात समझ में आए तब तक सत्ता के समीकरण इधर के उधर हो चुके थे। दिन ढलते-ढलते राज्य की कमलनाथ सरकार पर बन आई। तस्वीरें ऐसी बदलीं कि कांग्रेस के फ्रेंम से 'महाराज' बाहर हो गए, कमलनाथ-दिग्विजय अकेले रह गए और रात होते-होते भाजपा अपने विधायकों को उड़ाकर भोपाल से बाहर ले गई। दिनभर में ऐसे कई घटनाक्रम हुए, चलिए सभी पर नजर डालते हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे की कॉपी ट्वीट की। सिंधिया ने इस्तीफे में लिखा, "बीते 18 साल कांग्रेस का प्राथमिक सदस्य रहने के बाद अब मेरे आगे बढ़ने का वक्त आ गया है। मैं कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं और आप अच्छे से जानती हैं कि यह वही रास्ता है जिसके लिए पिछले साल से माहौल बन रहा था। मेरा लक्ष्य शुरू से ही मेरा राज्य के लोगों और देश की सेवा करना रहा है। मुझे लगता है इस पार्टी में रहकर अब मैं और ऐसा नहीं कर सकता हूं। मेरे हिसाब से मेरे लिए आगे बढ़ जाना ही बेहतर है।"

कांग्रेस ने सिंधिया को पार्टी से निकालने का दावा किया

कांग्रेस ने दावा किया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रभाव से पार्टी से बाहर निकाला गया है। कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कांग्रेस से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया गया है। वहीं, अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से निकाल दिया गया है। हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था, पार्टी से गद्दारी करने वाले के साथ तो ऐसा ही करना पड़ेगा। बुरे वक्त में पार्टी का साथ छोड़ना सही नहीं है। मध्य प्रदेश में शायद अब हमारी सरकार नहीं रहेगी।"

सिंधिया समर्थक विधायकों ने भी दिया इस्तीफा

ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन गया। एक-एक करके सिंधिया समर्थक कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा देना शुरू कर दिया। मंगलवार की शाम करीब चार बजे हाटपिपलिया से कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी के इस्तीफे के साथ ही ऐसे विधायकों की संख्या 22 हो गई। मनोज चौधरी से पहले 21 और विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके थे। 22 विधायकों के इस्तीफे के साथ ही कमलनाथ सरकार बहुमत से अल्पमत में बदलती नजर आने लगी। लेकिन, सीएम कमलनाथ ने रात को दावा किया कि कांग्रेस अपना बहुमत साबित करेगी।

CM कमलनाथ के आवास पर कांग्रेस विधायकों की बैठक

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर गहराए संकट के बीच कांग्रेस विधायकों की मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार शाम को बैठक हुई, जिसमें 88 विधायक पहुंचे। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की। बैठक के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, "चिंता की कोई बात नहीं है, हम अपना बहुमत साबित करेंगे। हमारी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।" वहीं, कांग्रेस के नेता और दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस लड़ने के लिए तैयार है। हमारे पास 94 विधायक हैं, कोई भी पार्टी का मनोबल नहीं तोड़ सकता​।

BJP सक्रिय, बड़े-बड़े नेताओं ने की बैठक

कमलनाथ सरकार के लिए इस पॉलिटिकल क्राइसेस के वक्त में भाजपा भी सक्रिय हो गई है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक भाजपा में बैठकों का दौर चला। भोपाल में भाजपा के विधायक दल की बैठक हुई तो दिल्ली में पीएम मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी समेत कई नेताओं ने पार्टी की CEC बैठक में हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर भी चर्चा हुई। हालांकि, इस बात की किसी भी नेता ने पुष्टि नहीं की है। लेकिन, माना जा रहा है कि सिंधिया के स्वागत के लिए भाजपा पूरी तरह से तैयार है।

अपने विधायक ले उड़ी भाजपा

भोपाल में भाजपा विधायक दल की बैठक खत्म होने के बाद सभी विधायक पार्टी कार्यालय के पास खड़ी बसों में सवार होकर भोपाल एयरपोर्ट पहुंचे। इस दौरान मीडिया से बातचीत में भाजपा के विधायक विजय शाह ने कहा, "हम सब होली और रंगपंचमी का त्योहार मनाने जा रहे हैं। कमलनाथ सरकार का पाप का घड़ा अब भर चुका है और 16 तारीख़ को जिस दिन फुटेगा उस दिन फिर मक्खन खाने आएंगे। यहां से बेंगलुरु या दिल्ली जाएंगे।" पार्टी सूत्रों ने दावा किया है कि सभी विधायकों को प्लेन से दिल्ली ले जाया जाएगा।

बुधवार को भाजपा में शामिल हो सकते हैं सिंधिया

दिन में खबरें आ रही थीं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मंगलवार को ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन फिर रात होते-होते सूत्रों ने जानकारी दी कि सिंधिया बुधवार को शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में BJP ज्वाइन करेंगे। दरअसल, मध्य प्रदेश में भाजपा के सबसे बड़े नेता के तौर पर शिवराज सिंह चौहान ही उभरकर आते हैं। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल करने के दौरान शिवराज सिंह चौहान की मौजूदी के मायने हैं, इसीलिए इसे कल के लिए टाला गया है।

सपा-बसपा विधायक भी शिवराज से मिले

पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद सियासी सरगर्मियों के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के एक-एक विधायक मंगलवार को यहां भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिलने उनके निवास पर गये। हालांकि, चौहान ने कहा कि यह रंगों के त्योहार होली के अवसर पर एक शिष्टाचार भेंट थी। भिंड विधानसभा क्षेत्र के बसपा विधायक संजीव सिंह एवं बिजावर सीट के सपा विधायक राजेश कुमार शुक्ला आज चौहान के निवास पर गये और उनसे कुछ मिनटों तक चर्चा की।

मध्य प्रदेश विधानसभा का गणित

साल 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 114 सीटों पर कांग्रेस पार्टी की जीत हुई थी जबकि भारतीय जनता पार्टी को 109 सीटें मिली थी। हालांकि, कांग्रेस पार्टी को 2 बसपा, एक सपा और 4 निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दे दिया था, जिससे राज्य में 120 विधायकों के साथ कांग्रेस की सरकार बनी थी। लेकिन, अब कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र से विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 115 से घटकर 104 हो जाएगा। कांग्रेस पार्टी के 22 विधायक घटने से सरकार अल्पमत में आ सकती है और भाजपा के पास पहले ही 109 विधायक हैं।

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