![10वीं की मॉड्यूल बुक में महात्मा गांधी को बताया गया 'कुबुद्धि'](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
भोपाल: महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पाठ पढ़ाने वाली कांग्रेस ही अगर सत्ता में रहकर स्कूली बच्चों को गांधी के 'कुबुद्धि' होने का पाठ पढ़ाए तो इसे क्या माना जाए? ये सवाल उठ रहा है क्योंकि कमलनाथ सरकार में 10वीं कक्षा के बच्चे अब तक ये पढ़ रहे थे कि गांधी जी दरअसल 'कुबुद्धि' के जैसे थे। मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग ने दसवीं के छात्रों के लिए तैयार मॉड्यूल बुक के टेस्ट पेपर-3 के पेज नंबर 46 पर महात्मा गांधी को "कुबुद्धि" बताया गया है।
मॉड्यूल बुक में लिखा गया है कि "वह कुबुद्धि बेहद अवगुणी और शराबी था और गांधीजी जैसा जीवन जीता था" । 2019-20 शैक्षणिक सत्र की परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को बीते कई दिनों से इस मॉड्यूल बुक को पढ़ रहे हैं। जिसे महीनों पहले मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बांट दिया गया। अब जब गांधी के पदचिन्हों पर चलने का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार कठघरे में है, तो कमलनाथ सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री बचते-बचाते नगर आए।
स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि ‘अगर प्रिंटिंग हो गया होगा तो जांच कराकर इस लापरवाही पर कार्रवाई करेंगे।’ हालांकि, सरकार की दूसरे मंत्री हर मुद्दे की तरह इस मुद्दे पर भी भाजपा की 1 साल पुरानी सरकार को ही दोषी ठहराते नजर आ रहे हैं। एमपी सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का मानना है कि प्रदेश में हर जगह आरएसएस और भाजपा के लोग बैठे हैं, वही ऐसी हरकतें करते हैं। उनका कहना है कि इसकी वजह 15 सालों तक मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज रही भाजपा के द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी हैं।
फिलहाल, सवाल तो यह है कि गांधी जी के बारे में ऐसा कैसे लिखा गया। चो चलिए इसके बारे में भी जान लीजिए। दरअसल, मॉडल टेस्ट पेपर में प्रश्नों के साथ-साथ उनके उत्तर भी दिये गये हैं, ताकि छात्र-छात्राएं अपने फाइनल पेपर में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। मॉडल टेस्ट पेपर के पहले पेज के सातवें सवाल में अंग्रेजी में प्रश्न है कि सुबुद्धि और कुबुद्धि की विशेषताएं क्या होती हैं? इसके जवाब में अंग्रेजी में ही लिखा गया है - 'सुबुद्धि एक ईमानदार इंसान था और उसने अच्छी जिंदगी जी। कुबुद्धि एक दुष्ट इंसान था और उसने दारू पीने और ‘गांधीजी’ की जिंदगी जी।'
वैसे मॉड्यूल बुक पढ़कर समझा जा सकता है कि यह स्पेलिंग मिस्टेक है। वहां ‘गैंबलिंग’ होना चाहिए था लेकिन इसकी जगह ‘गांधीजी’ छप जाने से कमलनाथ सरकार की किरकिरी हो रही है। लेकिन, सवाल फिर भी वही खड़ा होता है कि आखिर स्कूलों तक भेजते हुए इन किताबों की जांच क्यों नहीं हुई, इतनी गंभीर चूक आखिर हुई कैसे? ऐसे में भले ही सरकार मामले की जांच कराने की बात कर पल्ला झाड़ रही हो। लेकिन, बीजेपी इसे कांग्रेस के गांधीवादी होने की असलियत बता रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “देखिए सरकार को शर्म आनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के सभी साथी और हमारे नरेंद्र मोदी जी, गांधीजी को आदर्श मानते हैं तथा महात्मा गांधी जी के 2 अक्टूबर के दिन जो जन्मदिन था उसे लेकर हमारे कार्यकर्ताओं ने, विधायकों ने और सांसदों ने पदयात्रा की, जो गांधी जी के आदर्शों के लिए समर्पित थी। उनकी राहों पर चलने का हम प्रयास कर रहे हैं। खुद भारतीय जनता पार्टी को बदनाम करना और खुद अपमान करना यह निर्लज्जता कि हद है। बिल्कुल गलत है, अशोभनीय है, जांच का ढोंग ना करें सीधे कार्रवाई करें।