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गोमूत्र-गोबर से प्रोडक्ट बनाएगी कमलनाथ सरकार, पतंजलि की तर्ज पर करेगी ब्रांडिंग

सूत्रों की मानें तो सरकार गौशाला के बिजनेस मॉडल को सफल बनाने के लिए लगातार अध्ययन कर रही है। इसमें राज्य और केंद्र सरकार के अन्य विभागों की मदद देने की भी कोशिश की जा रही है। 

Reported by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Published on: November 07, 2019 16:22 IST
gaushala- India TV Hindi
Image Source : FILE प्रतिकात्मक तस्वीर

भोपाल। सॉफ्ट हिंदुत्व, गौ-सेवा और गौशाला खोलने जैसे मुद्दों के जरिए 15 सालों का वनवास खत्म कर सत्ता में आई कमलनाथ सरकार अब तक भले ही एक भी गौशाला ना खोल पाई हो लेकिन इन्हीं गौशालाओं के जरिए अब सरकार गौ उत्पादों को पतंजलि की तर्ज पर मार्केट उपलब्ध कराने जा रही है।

गोबर, गोमूत्र से तैयार किए जाएंगे प्रोडक्ट

मध्य प्रदेश सरकार के इस गौशाला बिजनेस मॉडल में खुलने वाली गौशालाओं में गोबर, गोमूत्र और पंचगव्य से उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इन की ब्रांडिंग और मार्केटिंग सरकार करेगी और फिर इन्हीं उत्पादों को पतंजलि के तर्ज पर मार्केट उपलब्ध कराया जाएगा।

सरकार की मंशा है कि आगे जो गौशाला खोलने जा रही हैं उनमें 10 लाख निराश्रित गायों को जगह मिलेगी उनके गोमूत्र गोबर से प्रोडक्ट बनाए जाएंगे, जो देश और प्रदेश में जनता को उचित कीमत पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

मंत्री लाखन सिंह बोले- गोबर, गोमूत्र को नहीं जाने देंगे वेस्ट

पशु पालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने इंडिया टीवी से बातचीत में कहा कि हम प्रदेश में खुलने वाली हजार गौ शालाओं में दस लाख निराश्रित गौ वंश को रखेंगे। गोबर-गौमूत्र से जो अब तक वेस्ट होता था उसे जनता के लिए इस्तेमाल करें, कई प्रोडक्ट बनाएं इसके लिए कई कंपनियां से हम संपर्क में हैं। हमारा मकसद है कि गाय का अभी तक जो गोबर-गोमूत्र जिसका वेस्टेज होता था उसका पूरी तरह से प्रदेश की जनता के लिए यूटिलाइज करें। जिसका मध्यप्रदेश में इसका आम जनता को फायदा मिले।

कमलनाख सरकार ने किया था एक हजार गौशाला खोलने का वादा

दरअसल बीजेपी कमलनाथ सरकार को गौशाला के मुद्दे पर लगातार निशाने पर रख रही है। वजह भी साफ है विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने घोषणा की थी कि प्रदेश की हर पंचायतों में गौशाला खुलेगी। लेकिन सरकार बनने पर कमलनाथ ने 1000 गौशाला खोलने का वादा किया। हालांकि 10 महीने बीत गए अभी तक एक भी गौशाला खोली नहीं जा सकी है।

कमलनाथ सरकार की मंशा पर उठ रह हैं सवाल

वहीं सरकार ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार के समय गौ सेवा के लिए शुरू की गई गो संजीवनी एंबुलेंस को जो घर पहुंच कर गोवंश का मुफ्त इलाज करती थी, उसे भी 100 रुपये कर दिया जिसके चलते कमलनाथ सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते आए हैं। ऐसे में गौ सेवा के तमाम वादों के बीच अब सरकार गौशालाओं के जरिए गौ उत्पादों की ब्रांडिंग की बात कर रही है।

एमपी सरकार केंद्र सरकार के कई विभागों से कर सकत है अनुबंध

सूत्रों की मानें तो सरकार गौशाला के बिजनेस मॉडल को सफल बनाने के लिए लगातार अध्ययन कर रही है। इसमें राज्य और केंद्र सरकार के अन्य विभागों की मदद देने की भी कोशिश की जा रही है। सरकार की मंशा है गौ उत्पादों  को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के रेल स्वास्थ्य और खाद्य मंत्रालय से भी अनुबंध किया जाए ।

गौशालाओं में बन सकते हैं ये उत्पाद

गोबर की खाद, कीटनाशक, गोबर की लकड़ी, गमले औषधि, गोमूत्र, मच्छर अगरबत्ती

भाजपा बोली गौशालाओं में होनी चाहिए गायों की सेवा

अब तक 10 महीने बीत जाने के बाद भी गौशाला न खुलने के मुद्दे पर कमलनाथ सरकार को घेरते आ रही भाजपा को कमलनाथ सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया है। भाजपा के पूर्व मंत्री और विधायक विश्वाश सारंग ने कहा गौशाला में गायों की सेवा होनी चाहिए ना की गौ उत्पादों का व्यापार होना चाहिए। कमलनाथ सरकार सेठों की सरकार है इसलिए यह गायों को बेचकर उसका फायदा अपने व्यावसायिक मित्रों को देना चाहती है।

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