लखनऊ: अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर बयानबाजी तेज होने के बीच ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक आगामी 15 जुलाई को लखनऊ में होगी। बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि बोर्ड की 41 सदस्यीय कार्यकारिणी की यह एक दिवसीय बैठक लखनऊ स्थित नदवा में आयोजित की जाएगी। इसमें अन्य विभिन्न मुद्दों के साथ अयोध्या विवाद को लेकर हाल में तेज हुई बयानबाजी के पेशेनजर उपजे हालात पर भी चर्चा हो सकती है।
उन्होंने कहा कि चूंकि बाबरी मस्जिद का मसला बेहद संवेदनशील है। इसलिए इस पर जो बयानबाजी शुरू हुई है, उससे बेचैनी पैदा होती है। कोई कह रहा है कि फलां महीने में विवाद का फैसला आएगा और वह एक खास पक्ष के माफिक होगा। ऐसे बयान देकर मुल्क की सबसे बड़ी अदालत की अहमियत को कम करने की कोशिश की जा रही है। इस पर गौर करने की जरूरत है। बोर्ड की बैठक में इस पर चर्चा होने की प्रबल सम्भावना है।
मौलाना खालिद ने कहा कि बोर्ड अयोध्या विवाद में उच्चतम न्यायालय के फैसले को मानने के अपने रुख पर मजबूती से कायम है और यह रुख पूरी तरह कानूनी तथा संवैधानिक है। पहले जब भी इस विवाद को बातचीत के जरिये सुलझाने की कोशिश हुई, तो राजनीतिक पार्टियों ने उसमें सियासत खेली, जिससे माहौल खराब हुआ, लिहाजा पिछले अनुभवों को देखते हुए सबसे बेहतर हल यही है कि अदालत का जो भी फैसला हो, उसका सम्मान किया जाए।
गौरतलब है कि रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य पूर्व सांसद रामविलास वेदान्ती ने हाल में अयोध्या में आयोजित संत सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में कहा था कि अगर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आ जाता है तो ठीक है, लेकिन अगर नहीं आता है तो वह मंदिर का निर्माण शुरू करा देंगे। विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया ने भी वेदान्ती के सुर में सुर मिलाते हुए कहा था कि अगर चार महीने के अंदर मंदिर नहीं बना तो वह अक्टूबर में करोड़ों रामभक्तों के साथ लखनऊ से अयोध्या कूच करेंगे और मंदिर का निर्माण करेंगे।
इन बयानों के बाद राम मंदिर मुद्दा एक बार फिर गर्म हो गया है। इस बीच, बोर्ड के एक अन्य वरिष्ठ सदस्य अधिवक्ता जफरयाब जीलानी ने वेदांती और तोगड़िया के बयानों को विशुद्ध राजनीतिक करार दिया। उन्होंने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय में लम्बित है। अगर वेदांती और तोगड़िया में हिम्मत है तो विवादित स्थल पर चार ईंटें ही रखकर दिखा दें। उसके बाद वह देखेंगे कि उच्चतम न्यायालय उनके खिलाफ कैसा रुख अपनाता है। ये बयान 100 फीसद सियासी हैं। चूंकि इस वक्त धु्र्वीकरण कम हो गया है लिहाजा सरकार के खिलाफ नाराजगी से ध्यान हटाने के लिए शिगूफा छोड़ा जा रहा है कि मंदिर बनने वाला है।
मौलाना रशीद ने कार्यकारिणी बैठक के एजेंडा के बारे में बताया कि बाबरी मस्जिद मुकदमे की प्रगति पर विचार-विमर्श भी बैठक के एजेंडे में शामिल है। इसके अलावा इजलास में इस बात पर भी विचार-विमर्श होगा कि वकीलों को शरई कानूनों के बारे में कैसे वाकिफ कराया जाए। इससे अदालतों में मुस्लिम पर्सनल लॉ से सम्बन्धित मामलों को शरई कानूनों के दायरे में रखा जा सके। उन्होंने बताया कि बोर्ड का मानना है कि उसकी महिला शाखा ने जिस तरीके से मुल्क भर में तीन तलाक बिल के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। उससे इस बात का अंदाजा हुआ कि औरतों में शरीयत के मसायल को लेकर दिलचस्पी है। बोर्ड यह तय करेगा कि इसे देखते हुए समाज सुधार में किस तरह से ख्वातीन की खिदमात ली जाए।
मौलाना रशीद ने बताया कि आगामी 30 जून और एक जुलाई को हैदराबाद में बोर्ड की महिला विंग की दो दिनी वर्कशाप होगी, उम्मीद है कि उसमें भी कई अहम बातें निकल कर आएंगी, जिन पर 15 जुलाई की बैठक में चर्चा हो सकती है।