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सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बीच आज निकलेगी पुरी की रथ यात्रा, सिर्फ 500 लोगों को अनुमति

कोरोना संकट के बीच आज ओडिशा के पुरी में वार्षिक जगन्नाा रथ यात्रा का आयोजन होगा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 23, 2020 8:46 IST
Jagannath Rath Yatra- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/@SHIVOHOM Jagannath Rath Yatra

कोरोना संकट के बीच आज ओडिशा के पुरी में वार्षिक जगन्नाा रथ यात्रा का आयोजन होगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्राचीन रथयात्रा को आयोजित करने की सशर्त इजाजत दे दी थी। आज केंद्र और राज्य सरकार की सख्त निगरानी में वार्षिक रथयात्रा निकाली जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 500 लोगों को रथयात्रा में शामिल होने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर राज्य सरकार को ऐसा लगता है कि स्थिति कंट्रोल में नहीं है तो वह रथ यात्रा को रोक भी सकती है।

बता दें​ कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने रथ यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन सोमवार को तीन जजों की खंडपीठ ने यात्रा को सशर्त अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रथयात्रा के आयोजन के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर जरूरी एहतियाती कदम उठाने होंगे। मंदिर कमेटी, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के आपसी तालमेल से रथयात्रा का आयोजन किया जाएगा। यात्रा का आयोजन लोगों की सेहत के साथ समझौता किए बिना किया जाएगा।

18 जून को सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी थी रोक

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 18 जून के फैसले में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर पुरी में इस साल की ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी। न्यायमू्र्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकीलों को बताया कि प्रधान न्यायाधीश उन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों के पीठ के गठन पर सहमत हैं जिनमें कुछ निश्चित शर्तों के साथ रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति का अनुरोध किया गया है। इस पीठ के समक्ष ही केंद्र ने मामले का उल्लेख किया और 18 जून के आदेश में सुधार का अनुरोध किया। इससे पहले, सुबह में केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर इस साल लोगों की भागीदारी के बिना पुरी की ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा को आयोजित करने की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही कहा कि “सदियों की परंपरा को तोड़ा नहीं जा सकता।” ओडिशा सरकार ने भी शीर्ष अदालत में केंद्र के रुख का समर्थन किया।

...तो 12 साल बाहर न निकलते भगवान जगन्नाथ 

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने मामले का उल्लेख करते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “यह करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा मामला है। अगर भगवान जगन्नाथ को कल बाहर नहीं लाया गया तो परंपरा के मुताबिक उन्हें अगले 12 साल तक बाहर नहीं निकाला जा सकता है।” मेहता ने कहा कि एहतियात बरतने के साथ ही राज्य सरकार एक दिन के लिए कर्फ्यू लगा सकती है। मेहता ने पीठ से कहा, “सभी ‘सेबायत’ और ‘पंडा”, जो कोविड-19 की जांच में संक्रमित नहीं पाए गए हैं, वे श्री शंकराचार्य के निर्णय के अनुरूप अनुष्ठानों में हिस्सा ले सकते हैं। लोग एकत्र न हों और वे लाइव प्रसारण के दौरान टीवी पर दर्शन कर सकते हैं। पुरी के राजा और मंदिर समिति इन अनुष्ठानों के प्रबंधों का पर्यवेक्षण कर सकती है।”

पूरी ​दुनिया से शामिल होते हैं लाखों लोग

पुरी रथ यात्रा में दुनिया भर से लाखों लोग शामिल होते हैं और यह 23 जून से निर्धारित है। शीर्ष अदालत ने 18 जून को कहा था कि नागरिकों की सुरक्षा एवं जन स्वास्थ्य के हित में इस साल की रथ यात्रा को अनुमति नहीं दी जा सकती है और “अगर हम इसकी अनुमति देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।” आदेश पारित होने के एक दिन बाद ही इसे वापस लेने और इसमें संशोधन के अनुरोध को लेकर शीर्ष अदालत में कुछ आवेदन दाखिल किए गए।

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