Friday, November 08, 2024
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जिस लोंगेवाला पोस्ट पर पहुंचे पीएम मोदी, जानिए वहां हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों की शौर्यगाथा

Longewala Post: 1971 में पाकिस्तानी सेना ने लोंगेवाला पर हमला कर बेस बनाने का प्लान बनाया क्यों कि लोंगेवाला उन पोस्टों में से एक थी, जहां तक सड़क पहुंचती थी और यहां से जैसमेर शहर तक पहंचा जा सकता था। इस पोस्ट पर पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन तैनात थी, जिसके कमांडर थे मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 14, 2020 12:11 IST
Longewala War- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/IAF_MCC File Photo

पीएम नरेंद्र मोदी हर साल की तरह इस बार भी दीपावली पर सैनिकों के बीच पहुंचे। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसबार दीपावली का त्योहार जैसलमेर में पाकिस्तान की सीमा के बेहद नजदीक लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात सैनिकों के साथ मनाया। यहां अपने भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने लोंगेवाला पोस्ट पर सैनिकों द्वारा जिन कठिनाईयों का सामना किया जाता है, उसका भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि लोंगेवाला पोस्ट जहां गर्मियों में तापमान 50 डिग्री को छूता है तो सर्दियों में शून्य से नीचे चला जाता है। आइए आपको बतातें हैं साल 1971 में लोंगेवाला पोस्ट पर लड़ा गया युद्ध क्यों हैं इतना प्रसिद्ध की यहां भारतीय सेना द्वारा दिखाई गई शौर्य गाथा पर सभी को गर्व हैं।

साल 1971 वो साल है जब पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए थे। भारत की पूर्वी सीमा पर युद्ध चल रहा था, पाकिस्तानी सेना को बांग्लादेश में उसके कर्मों का फल मिल रहा है, बांग्लादेश के लोगों और भारतीय फौज ने पाकिस्तानी सेना को लगभग उखाड़ फेंका था, तब दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान ने भारत की पश्चिमी सीमा पर हमला बोल दिया। सीमा के जिन हिस्सों पर हमला बोला गया, उन्हीं में से एक है लोंगेवाला पोस्ट। लोंगेवाला पोस्ट पर लड़ा गया युद्ध बेहद खास है, यहां भारतीय सेना के 120 जबाजों ने पाकिस्तान के 40 से ज्यादा टैंको और 2000 से ज्यादा सैनिकों को छठी का दूध याद दिला दिया था।

दरअसल 1971 में पाकिस्तानी सेना ने लोंगेवाला पर हमला कर बेस बनाने का प्लान बनाया क्यों कि लोंगेवाला उन पोस्टों में से एक थी, जहां तक सड़क पहुंचती थी और यहां से जैसमेर शहर तक पहंचा जा सकता था। इस पोस्ट पर पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन तैनात थी, जिसके कमांडर थे मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी। 4 दिसबंर की रात पाकिस्तान की सेना ने इस पोस्ट पर हमला करने वाली थी, जिसकी कुछ ही घंटों पर यहां तैनात टुकड़ी को भनक लगी। मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने तुरंत हेडक्टवार्टर से संपर्क कर एक्ट्रा फोर्स और हथियार मांगे, लेकिन हेडक्‍वार्टर ने छह घंटे बाद मदद पहुंचाने की बात कही। हालांकि हेडक्‍वार्टर ने मेजर चांदपुरी को पीछे हटने का विकल्प दिया था लेकिन उन्होंने वहीं रुकने और पाकिस्तान की फौज का सामना करने का फैसला किया।

रात में पाकिस्तान की तरफ से हमला कर दिया गया, हमले से पहले ही भारतीय सेना ने बेहद सावधानी से सीमा के नजदीक एंटी-टैंक माइंस बिछा दिए ताकि आगे बढ़ने पर पाकिस्तान के टैंक ब्लास्ट में उड़ जाएं। पाकिस्तानी फौज को रोकने के लिए कंटीली तारें पहले  ही लगाई हुईं थी। इस बीच आगे बढ़ती पाकिस्तानी सेना का एक खाली फ्यूल टैंक फट गया और दो टैंक उड़ गए। भारतीय सेना ने उस रात अपनी M40 राइफलों से पाकिस्तान के 12 टैंकों को नेस्तानाबूद कर दिया, कई टैंक माइंस में बर्बाद हो गए, पूरी रात भारत के वीर सैनिकों के विशाल पलटन पर जबरदस्त हमले किए। जबतक सुबह का सूरज निकला, तबतक भारतीय सैनिक पाकिस्तानियों को पानी पिला मारते रहे। 

सुबह के समय भारतीय वायुसेना में मोर्चा संभाला। वायुसेना ने HF-24 मारुत और Hawker Hunter विमानों से पाकिस्तानी सेना पर हमला बोल दिया। वायुसेना ने इतना जबरदस्त हमला बोला कि पाकिस्तानी सेना के कुछ समझ नहीं आया। पाकिस्तानी फौजी अपने वाहन छोड़कर भागने लगे। इसबीच कर्नल बावा गुरुवचन सिंह के नेतृत्व में में राजपूताना राइफल्‍स की 17वीं बटालियन टैंक लेकर पहुंची, लेकिन तबतक पाकिस्तानी सेना पीठ दिखाकर भाग चुकी थी। युद्ध के बाद लोंगेवाला पोस्ट के आसपास पाकिस्तान के 100 से ज्यादा वाहन मिले। 

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