नई दिल्ली: विपक्ष के वॉकआउट के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहल करते हुए विपक्षी नेताओं को अपने चैंबर में चाय पर बुलाया। बिरला के चैंबर में सभी बड़े विपक्षी नेता अधीर रंजन चौधरी, कल्याण बनर्जी, टीआर बालू, सुप्रिया सूले, गौरव गोगोई, के सुरेश, सौगत राय, विजय कुमार हंसदा भी मौजूद रहे। ओम बिरला ने कहा सदन के बाहर नहीं भीतर रहना अधिक सार्थक होगा। सदन में सहयोग के लिए बिरला ने विपक्ष का धन्यवाद किया। बिरला ने आगे भी सदस्यों से सकारात्मक सहयोग बनाए रखने को है। विपक्ष ने भी अपना बयान देते हुए कहा है कि हमारी नाराजगी लोकसभा अध्यक्ष से नहीं है। बिरला हमें भी पूरा सम्मान देते हैं। सदन के भीतर और बाहर भी हमारा ध्यान रखते हैं। लेकिन राज्य सभा में जो हुआ उसके कारण हमने वॉकआउट किया।
राज्यसभा में विपक्ष ने की निलंबित सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग
राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने आठ सदस्यों का निलंबन समाप्त किए जाने की मांग की। रविवार को कृषि संबंधी दो विधेयकों के पारित होने के दौरान अमर्यादित आचरण को लेकर एक दिन पहले आठ सदस्यों को मानसून सत्र के शेष समय के लिए निलंबित कर दिया गया था। सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने आठ निलंबित सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि उनकी सरकार से तीन मांगें हैं। उन्होंने कहा कि सरकार दूसरा विधेयक लेकर आए और यह सुनिश्चित करे कि निजी कंपनियां किसानों की फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतों पर नहीं खरीदें।
आजाद ने मांग की कि एमएसपी को स्वामीनाथन समिति के फार्मूले के हिसाब से निर्धारित किया जाना चाहिए और निजी कंपनियों के साथ-साथ भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए भी अनिवार्य हो कि वह एमएसपी से कम कीमत पर खरीद नहीं करे। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि उन्हें सदन की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए और आसन पर आरोप लगाना उचित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सदस्यों को आत्मचिंतन करना चाहिए।
नायडू ने कहा ‘‘निलंबित सदस्य भी हमारे सहयोगी हैं और उन्हें समझना चाहिए कि उनका आचरण स्वीकार्य नहीं है। उनका आचरण लोकतांत्रिक नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि उन सदस्यों को पश्चाताप करना चाहिए और नियमों का पालन करना चाहिए। सपा के राम गोपाल यादव ने कहा कि सदन में जो कुछ हुआ, उससे कोई सहमत नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि वह सत्तापक्ष को धन्यवाद देंगे कि उसने इस पूरे मामले में संयम बरता। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री से चूक हुई और सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर स्थिति को संभाला जा सकता था। यादव ने कहा कि विपक्ष की ओर से गलती हुयी है।
उन्होंने अनुरोध किया कि निलंबित सदस्यों का निलंबन रद्द कर दिया जाए और वह उन सब की ओर से क्षमा मांगने को तैयार हैं। टीआरएस सदस्य के केशव राव ने भी सदस्यों का निलंबन समाप्त करने की मांग की। वहीं द्रमुक के टी शिवा ने कहा कि अभूतपूर्व स्थिति में दोनों विधेयक पारित किए गए। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि सरकार और विपक्ष को एक साथ बैठकर तय करना चाहिए कि सदन कैसे चले। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने जो व्यवहार किया, वह निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि उप सभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील 13 बार की थी। जोशी ने कहा कि हंगामा कर रहे सदस्यों द्वारा एक मार्शल के साथ बदसलूकी की गयी। उन्होंने कहा ‘‘ उस दिन भी हमारी स्थिति मजबूत थी और संख्या हमारे पक्ष में थी। हमारे पक्ष में 110 सदस्य थे जबकि विपक्ष के साथ 72 सदस्य थे।’’ जोशी ने कहा ‘‘ हम भी नहीं चाहते कि निलंबित सदस्य बाहर रहें। लेकिन उन्हें अपने आचरण को लेकर अफसोस जताना चाहिए।’’
जद (यू) के आरसीपी सिंह ने आरोप लगाया कि हंगामा कर रहे सदस्यों ने भावना में आकर ऐसा अमर्याचित आचरण नहीं किया बल्कि उनका इरादा ही ऐसा था। उन्होंने कहा कि सदन में मत-विभाजन तभी संभव है जब व्यवस्था हो। सदन के नेता थावरचंद गहलोत ने भी रविवार की घटना की निंदा की और कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने आसन पर आक्षेप किया है जबकि आसन का निर्णय उचित था और उस निर्णय पर आक्षेप उचित नहीं है। उन्होंने उप सभापति द्वारा सभापति को एक पत्र लिखे जाने का भी जिक्र किया और कहा कि वह इस पूरे घटनाक्रम से काफी व्यथित हैं।