नई दिल्ली। अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल ने जिन कृषि विधेयकों के विरोध में मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है वे विधेयक लोकसभा में गुरुवार (17 सितंबर) को पास हो गए हैं। लोकसभा में चर्चा के बाद कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक, 2020 पास हो गए।
बता दें कि, केंद्र सरकार ने 5 जून 2020 को आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, 2020, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 की अधिसूचना जारी की थी। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (Promotion And Facilitation) विधेयक में कृषि उपज के अंतरराज्यीय व्यापार के बारे में प्रावधान किये गए हैं। फिलहाल किसी राज्य का किसान दूसरे राज्य में अपने उपज नहीं बेच सकता है।
विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 कृषि सेवाओं के लिए कृषि व्यवसाय फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ जुड़ते समय किसानों को बचाने और सशक्त बनाने वाले खेती के समझौतों पर एक राष्ट्रीय रूपरेखा प्रदान करता है।
कृषि संबंधी विधेयक ‘परिवर्तनकारी’, एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी: तोमर
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को ‘परिवर्तनकारी’ बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तंत्र जारी रहेगा और इन विधेयकों के कारण तंत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। तोमर ने कहा कि यह किसानों को बांधने वाला विधेयक नहीं बल्कि किसानों को स्वतंत्रता देने वाला विधेयक है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित होगा और उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी सुलभ हो सकेगी।
तोमर ने लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा, 'कोई भी व्यापारी अमानत में खयानत नहीं कर पायेगा। इसमें किसानों को तीन दिन में भुगतान की गारंटी देने की बात है। इन प्रस्तावित कानूनों में सभी तरह की सुरक्षा का प्रावधन किया गया है।' उन्होंने विपक्षी दलों से कहा, 'इन विधेयकों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखें और गंभीरतापूर्वक विचार करने के बाद इनका समर्थन करें।'
उन्होंने कहा, 'राजनीति का चश्मा उतारकर किसान का चश्मा लगा लें, तब इसमें किसान का हित दिखेगा।' कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल विधेयक का विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक शिरोमणि अकाली दल ने भी इन विधेयकों का पुरजोर विरोध किया। अकाली दल के नेता सुखवीर बादल ने लोकसभा में घोषणा की कि उनकी पार्टी की मंत्री हरसिमरत कौर बादल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगी। इसके बाद हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट किया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। इन विधेयकों पर कई विपक्षी दलों का तर्क है कि यह एमएसपी प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देगा और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देगा।
मंत्री के जवाब के बाद असंतोष जताते हुए कांग्रेस, द्रमुक और आरएसपी समेत कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। कृषि मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने कुछ विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकृत करते हुए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले, तोमर ने कहा, 'ये विधेयक आने वाले समय में किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने वाले हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि के क्षेत्र में कई योजनाओं का सृजन हुआ है। उनका लाभ भी कृषि क्षेत्र को मिल रहा है।'
विधेयकों पर कांग्रेस के विरोध का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब दिल्ली में एक सम्मेलन में कहा गया था कि एक साझा एकल बाजार होना चाहिए और इस संबंध में 'एक राष्ट्र, एक बाजार' का विचार उद्धृत किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया था कि कृषि उपज मंडी संबंधी अधिनियम में संशोधन किया जायेगा। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहते हुए गांव, गरीब और किसानों का ना तो कभी अहित हुआ है और ना कभी होगा। उनके नेतृत्व में किसान के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले ये विधेयक लाये गये हैं। उन्होंने कहा कि 2014 से लगातार गांव, गरीब, किसान और खेती को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आगे बढ़ाने की लगातार कोशिश की जा रही है।
तोमर ने कहा कि इस कानून के आने से पहले की पृष्ठभूमि देखें तो 2009-10 में कृषि मंत्रालय का बजट 12 हजार करोड़ रुपये था और आज खेती का बजट 1,34,000 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता किसान के प्रति नहीं होती तो क्या ये बजट प्रावधान होते? उन्होंने कहा कि आज तक कभी भी एक साल में 75 हजार करोड़ रुपये सरकारी खजाने से निकलकर किसान की जेब तक नहीं पहुंचे। मोदी सरकार ने अब तक 92 हजार करोड़ सीधे किसान के खाते में पहुंचाए हैं। इससे पहले उन्होंने कहा, 'अभी तक किसान अपने उत्पाद के लिए मंडी की जंजीरों से बंधा था। इस विधेयक से उसे पूरी स्वतंत्रता मिलेगी। इस विधेयक के कानून बनने के बाद किसान अपने घर, खेत और सभी स्थानों से कारोबार के लिए स्वतंत्र होंगे।'
तोमर ने यह दावा भी किया कि इस विधेयक से राज्य के कानूनों का अधिग्रहण नहीं होता। कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत किसान छोटे हैं जो निवेश नहीं कर पाते और ना ही निवेश का लाभ प्राप्त कर पाते। लेकिन कीमत पहले से निर्धारित होने से वे फायदे की खेती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। एमएसपी थी, है और जारी रहेगी। तोमर ने कहा कि प्रस्तावित कानून कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सक्षम बनायेगा। साथ ही किसानों को अपनी पसंद के निवेशकों के साथ जुड़ने का मौका भी प्रदान करेगा।
मंत्री ने कहा कि यह पहल, सरकार के देश के किसानों के कल्याण के लिए उसकी निरंतर प्रतिबद्धता के तहत किये गये तमाम उपायों की श्रृंखला में उठाया गया ताजा कदम है। किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है। इसमें किसान और व्यापारी विभिन्न राज्य कृषि उपज विपणन विधानों के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसरों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार चैनलों के माध्यम से किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। वहीं, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 में कृषि समझौतों पर राष्ट्रीय ढांचे के लिए प्रावधान है, जो किसानों को कृषि व्यापार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराता है।