Friday, November 22, 2024
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SC/ST समुदाय का आरक्षण 10 साल के लिए बढ़ा, लोकसभा ने बिल को दी मंजूरी

लोकसभा ने मंगलवार को ‘संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों को दिए गए आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 10, 2019 19:50 IST
Reservation- India TV Hindi
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नई दिल्ली: लोकसभा ने मंगलवार को ‘संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों को दिए गए आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ जुर्म के मामलों की जांच दो महीने में और सुनवाई छह महीने में पूरा करने के लिए वह राज्यों को पत्र लिखने जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को लिखेंगे कि राज्यों को त्वरित निपटान अदालत में सुनवाई छह महीने में पूरा करनी है क्योंकि यह 2018 में पारित कानून का हिस्सा है।’’ उन्होंने कहा कि 1023 त्वरित निपटान (फास्ट ट्रैक) अदालतों को मंजूरी दी गई है और इससें 400 से अधिक पर काम आगे बढ़ गया है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ‘संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी। निचले सदन में मत विभाजन में इस विधेयक के पक्ष में 352 मत पड़े और विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। संविधान संशोधन विधेयक होने के मद्देनजर इसे सदन के कुल सदस्यों की संख्या के बहुमत एवं उपस्थिति सदस्यों की संख्या के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है।

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट कर कहा, ''लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों को दिये गये आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने के प्रावधान वाला संविधान (126वां संशोधन) विधेयक, 2019, के लोकसभा से पारित होने का स्वागत करता हूं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देता हूं।''

विधि एवं न्याय मंत्री प्रसाद ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का पूरा समाज ही पिछड़ा है, ऐसे में इसे दो भाग में बांटने की जरूरत नहीं है और क्रीमीलेयर की एससी/एसटी समाज में जरूरत नहीं है। एंग्लो इंडियन समुदाय को विधेयक के दायरे से बाहर रखने के बारे में कांग्रेस सहित कुछ सदस्यों की चिंताओं पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस के समय ही सीमा शुल्क, रेलवे, टेलीग्राफ विभागों में इस समुदाय के लिए पदों को खत्म कर दिया गया था, इनके शैक्षणिक समुदायों का अनुदान समाप्त कर दिया गया था।

उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही कहा है कि एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों की आबादी 296 है और इस बारे में रजिस्ट्रार जनरल, जनगणना पर शंका करना ठीक नहीं है। विधि मंत्री ने कहा कि जब यही संस्था अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की संख्या 20 करोड़ और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की संख्या 10.45 करोड़ बताती है, तब यह ठीक लगता है लेकिन एंग्लो इंडियन वर्ग के लोगों की संख्या पर शंका की जा रही है। प्रसाद ने कहा कि एंग्लो इंडियन समुदाय के बारे में विचार करना बंद नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि इस संविधान संशोधन के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के सदन में आरक्षण को 10 वर्ष बढ़ाया जा रहा है जो जनवरी, 2020 में समाप्त होने जा रहा है। उन्होंने जोर दिया कि भाजपा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और यह आरक्षण कभी भी नहीं हटाया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस पर संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें वर्षों तक भारत रत्न से वंचित रखा गया और 1990 में वी पी सिंह की सरकार के समय भारत रत्न प्रदान किया गया जिसे भाजपा समर्थन दे रही थी।

गौरतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और एंग्लो-इंडियन समुदाय को पिछले 70 वर्ष से मिल रहा आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है। इस विधेयक में एससी और एसटी के संदर्भ में इसे 10 वर्ष बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।

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