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संसद के मानसून सत्र की बैठक अनिश्चितकाल के लिये स्थगित, इस सत्र में पास हुए 25 बिल

संसद का मानसून सत्र बुधवार को अपने निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 23, 2020 22:06 IST
Lok Sabha adjourns sine die; Parliament Monsoon session ends ।- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Lok Sabha adjourns sine die; Parliament Monsoon session ends

नयी दिल्ली। संसद का मानसून सत्र बुधवार को अपने निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। छोटी अवधि होने के बावजूद संसद के दोनों सदनों में सत्र के दौरान 25 विधेयकों को पारित किया गया। राज्यसभा में हंगामे के कारण आठ विपक्षी सदस्यों को रविवार को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों ने लगातार दस दिनों तक काम किया। शनिवार और रविवार को सदन में अवकाश नहीं रहा। 

सभापति एम वेंकैया नायडू ने सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि यह सत्र कुछ मामलों में ऐतिहासिक रहा क्योंकि इस दौरान उच्च सदन के सदस्यों को बैठने की नयी व्यवस्था के तहत पांच अन्य स्थानों पर बैठाया गया। ऐसा उच्च सदन के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान 25 विधेयकों को पारित किया गया या लौटा दिया गया। इसी के साथ छह विधेयकों को पेश किया गया। सत्र के दौरान पारित किए गए विधेयकों में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक, महामारी संशोधन विधेयक, विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक और जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक आदि शामिल हैं। 

नायडू ने बताया कि इस सत्र के दौरान 104.47 प्रतिशत कामकाज हुआ। उन्होंने कहा कि इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर व्यवधान के कारण जहां सदन के कामकाज में तीन घंटों का नुकसान हुआ वहीं सदन ने तीन घंटे 26 मिनट अतिरिक्त बैठकर कामकाज किया। राज्यसभा के सभापति ने कहा कि पिछले चार सत्रों के दौरान उच्च सदन में कामकाज का कुल प्रतिशत 96.13 रहा है। वहीं, लोकसभा के मानसून सत्र की बैठक बुधवार को अपने निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गयी। छोटी अवधि होने के बावजूद निचले सदन में 25 विधेयकों को पारित किया गया और 167 प्रतिशत कामकाज हुआ। 

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोरोना वायरस महामारी के बीच मानसून सत्र के आयोजन को कई अर्थों में ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि ऐसी परिस्थिति में भी सदस्यों के सक्रिय सहयोग और सकारात्मक भागीदारी के कारण निचले सदन ने कार्य उत्पादकता के नये कीर्तिमान स्थापित किये जो 167 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा कि यह अन्य सत्रों से अधिक रही। अध्यक्ष ने बताया कि 14 सितंबर से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान लोकसभा की 10 बैठकें बिना अवकाश के हुईं जिनमें निर्धारित कुल 37 घंटे की तुलना में कुल 60 घंटे की कार्यवाही संपन्न हुई। इस तरह सभा की कार्यवाही निर्धारित समय से 23 घंटे अतिरिक्त चली। बिरला ने कहा कि सत्र में 68 प्रतिशत समय में विधायी कामकाज और शेष 32 प्रतिशत में गैर विधायी कामकाज संपन्न हुआ। लोकसभा में इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे।

 वहीं, राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के कहा कि पिछले चार सत्रों के दौरान उच्च सदन में कामकाज का कुल प्रतिशत 96.13 फीसदी रहा है। सभापति ने पिछले दो दिनों से सदन के कामकाज में कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा भाग नहीं लिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने इस सत्र को बुलाये जाने के पीछे के कारणों का खुलासा करते हुए कहा कि इसे बुलाये जाने की संवैधानिक बाध्यता भी थी। साथ ही उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि जब सभी क्षेत्रों के लोग काम कर रहे हैं तो सांसदों को जो जिम्मेदारी दी गयी है, उसे पूरा किया जाना चाहिए। नायडू ने कहा कि राज्यसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उपसभापति को हटाये जाने का नोटिस दिया गया। सभापति ने कहा कि उन्होंने इसे खारिज कर दिया क्योंकि वह नियमों के अनुरूप नहीं था। उन्होंने इसके बाद सदन में हुई घटनाओं को ‘‘पीड़ादायक’’ बताया। उन्होंने सदन में अनुपस्थित सदस्यों से अनुरोध किया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो और सदन की गरिमा बनी रहे। 

गौरतलब है कि रविवार को कृषि संबंधी दो विधेयकों के पारित होने के दौरान हंगामे को लेकर सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था। निलंबित किए गए सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं। इसी सत्र के दौरान राजग के उम्मीदवार हरिवंश ध्वनिमत से दोबारा राज्यसभा के उपसभापति चुने गये। वहीं, लोकसभा में अपने संबोधन में अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सत्र के दौरान सदस्यों के 2,300 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गये। इस दौरान 370 मामले शून्यकाल में उठाये गये और 20 सितंबर को शून्यकाल में देर रात तक 88 सदस्यों ने लोक महत्व के विषय उठाए। 

बिरला ने कहा कि नियम 377 के तहत 181 मामले लोक महत्व के उठाये गये और इनमें अधिकांश में संबंधित मंत्रालय की ओर से उत्तर भी दिये गये। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 15वीं लोकसभा में जहां 57.17 प्रतिशत मामलों पर मंत्रालयों से उत्तर प्राप्त हुए, वहीं 17वीं लोकसभा में 98 प्रतिशत से अधिक मामलों में उत्तर मिले। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा निरंतर प्रयास रहा है कि सदस्यों को मंत्रालयों से एक महीने की निर्धारित अवधि के अंदर ही उत्तर प्राप्त हो जाएं।’’ उन्होंने बताया कि मानसून सत्र में निचले सदन में मंत्रियों ने 40 वक्तव्य दिये जिनमें कोविड-19 महामारी पर, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर और पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर दिये गये वक्तव्य प्रमुख हैं।

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