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दिल्ली में lockdown के बीच गुजरा पहला रोजा, बंद रहीं मस्जिदें और बाजारों मे रहा सन्नाटा

चांदनी चौक और करीब में ही जामा मस्जिद समेत पुरानी दिल्ली में खान-पान की दुकानें रमजान के दौरान न केवल रोजेदारों बल्कि खान-पान के शौकीनों से खचाखच भरी रहती हैं, लेकिन शनिवार को यहां केवल कुछ ही दुकानें खुली दिखीं।

Written by: Bhasha
Updated : April 25, 2020 21:32 IST
Jama Masjid
Image Source : PTI Representational Image

नई दिल्ली. दिल्ली में लॉकडाउन के बीच शनिवार को रमजान का पहला रोजा बीत गया। इस दौरान अधिकतर बाजारों और मस्जिदों में सन्नाटा पसरा रहा, जोकि इससे पहले रमजान के दौरान पहले कभी नहीं देखा गया। लॉकडाउन के चलते लोग घरों में रहे और आसपास की ज्यादातर दुकानें भी बंद रहीं। मस्जिदों समेत धार्मिक स्थल लगभग एक महीने से बंद हैं। धर्मगुरुओं ने घरों में रहने और मेलजोल से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। ऐसे में लोग न तो नमाज और न ही इफ्तार के लिये एक साथ जमा हो सके।

पुरानी दिल्ली के लाल कुआं के रहने वाले बुरहानुद्दीन ने कहा, ''रमजान के दौरान त्योहारों जैसा माहौल होता है। लोग बाजारों की ओर उमड़ते हैं और मस्जिदों में भी नमाजियों की आमद बढ़ जाती है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते वह रौनक गायब है और लोग अपने घरों में बैठे हैं।''

चांदनी चौक और करीब में ही जामा मस्जिद समेत पुरानी दिल्ली में खान-पान की दुकानें रमजान के दौरान न केवल रोजेदारों बल्कि खान-पान के शौकीनों से खचाखच भरी रहती हैं, लेकिन शनिवार को यहां केवल कुछ ही दुकानें खुली दिखीं। बुरहानुदद्दीन ने कहा, ''लॉकडाउन पाबंदियों के चलते अधिकतर दुकानें बंद हैं। इसके अलावा शाम के समय दुकानें खोलने को लेकर भी असमंजस है।''

कई रोजेदारों (रोजा या व्रत रखने वाले) ने इस दौरान सहरी के लिये खजला-फेनी (सूर्योदय से पहले यानी सहरी में खाया जाने वाला पकवान) नहीं मिलने की भी शिकायत की । एक अन्य निवासी ने कहा, ''दूध और चीनी के साथ मिलाकर खाया जाने वाला खलजा (तला हुआ व्यंजन) संपूर्ण खुराक है। लेकिन, हमें जामा मस्जिद के निकट श्री भवन और चेनाराम जैसी मशहूर दुकानों पर भी यह नहीं मिल पा रहा है।''

धार्मिक स्थल बंद होने के चलते लोग नमाज पढ़ने के लिये मस्जिदों में भी नहीं जा सके। फतेहपुरी की शाही मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा, ''इस्लाम में विशेष परिस्थितियों में घर पर ही नमाज अदा करने की इजाजत है। लिहाजा लोगों को कोरोना वायरस के चलते रमजान में मेलजोल से दूरी बनाकर घरों में नमाज और तराबीह (रात में पढ़ी जानी वाली विशेष नमाज) अदा करने चाहिये।''

वहीं रमजान के दौरान दुकानदारों की कमाई भी अच्छी होती है, लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा। लक्ष्मी नगर के रमेश पार्क इलाके में रहने वाले कपड़ा कारोबारी आसिफ कहते हैं, ''इस महीने कुछ कामकाज नहीं हुआ। कई लोग अपनी नौकरियां खो चुके हैं। लिहाजा इस बार त्योहारों का जोर-शोर कम होना स्वाभाविक है।'' पूरे रमजान के महीने में इस्लाम को मानने वाले लोग रोजे रखते हैं और महीने क अंत में ईद मनायी जाती है। 

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