नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में खतरनाक वायु प्रदूषकों की उच्च सांद्रता के लिए यातायात, निर्माण और घरेलू उष्मा जैसे प्रदूषण के स्थानीय स्रोत काफी जिम्मेदार हैं। ब्रिटेन के सरे विश्वविद्यालय के एक विस्तृत अध्ययन में यह बात कही गयी है। इसे करने वाले अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि स्थानीय स्रोंतों के बाहुल्य के पूरे साल प्रदूषण नियंत्रण की कोशश करने की जरूरत है न कि केवल सर्दियों में जब यह समस्या अपने चरम पर पहुंच जाती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में 2016 में करीब 42 लाख लोग प्रदूषण के चलते असमय मृत्यु का शिकार हो गये। उनका कहना है कि भारत में हर साल करीब छह लाख लोग वायु प्रदूषण की वजह से मौत की भेंट चढ़ जाते हैं। दुनिया में प्रदूषण का सर्वाधिक स्तर दिल्ली में पाया जा सकता है।
जर्नल ‘सस्टेनेबल सिटीज एंड सोसायटी’ में प्रकाशित इस अध्ययन में दिल्ली , हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 12 स्थानों से चार सालों के प्रदूषण के आंकड़े जुटाये गये हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने इस बात का विश्लेषण किया है कि कैसे पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड, सल्फर डॉयऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और ओजोन देश के इस क्षेत्र पर असर डालते हैं। सरे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने कहा, ‘‘ दिल्ली के एक निश्चित समयावधि के वायु प्रदूषण आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रदूषण के स्थानीय स्रोत जैसे यातायात और घरों से निकलने वार्मी दिल्ली क्षेत्र की वायु गुणवत्ता पर बहुत असर डालते हैं।