नई दिल्ली. आज रात 9 बजे पूरा देश पीएम मोदी की अपील पर अपने घरों की लाइटें बंद करने वाला है और दीये, टार्च, मोबाइल के लाइटें जलाने वाला है। आइए आपको बताते हैं पीएम नरेंद्र मोदी की पहल के बारे में सबकुछ।
पीएम मोदी ने क्या करने के लिए कहा है?
पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि वो रात 9 बजे 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा था, "130 करोड़ देशवासियों के महासंकल्प को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। 5 अप्रैल, रविवार को रात 9 बजे आप सब अपने घर की सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे पर या बालकनी में, खड़े रहकर, 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं।"
क्या पीएम मोदी ने जनता से अपने पूरे घर की बिजली काटने को कहा?
नहीं, पीएम मोदी ने ऐसा कुछ नहीं कहा। उन्होंने देशवासियों से महज लाइटें बंद करने की अपील की है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने गलत संदेश फैलाने की अपील की है, उनकी बातों में न आएं।
रात 9 बजे नौ मिनट तक मोमबत्ती जलाने का पीएम मोदी का आह्वान महज प्रतीक है क्या?
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि यदि घर की सभी लाइटें बंद करेंगे, चारों तरफ जब हर व्यक्ति एक-एक दीया जलाएगा, तब प्रकाश की उस महाशक्ति का एहसास होगा, जिसमें एक ही मकसद से हम सब लड़ रहे हैं, ये उजागर होगा। उन्होंने आगे कहा कि उस प्रकाश में, उस रोशनी में, उस उजाले में, हम अपने मन में ये संकल्प करें कि हम अकेले नहीं हैं, कोई भी अकेला नहीं है !!! 130 करोड़ देशवासी, एक ही संकल्प के साथ कृतसंकल्प हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने पीएम के आह्वान के पीछे के विज्ञान की व्याख्या की है, जो उन्होंने कहा कि पीएम की अपील "सामूहिक चेतना के सिद्धांत" पर आधारित है। एक वायरल वीडियो में, उन्होंने कहा कि कुल आबादी का एक फीसदी हिस्सा जो भी सोचता है और करता है, शेष 99 फीसदी आबादी में भी वहीं संदेश जाता है। प्रतिशत किया और सोचा था कि शेष 99 प्रतिशत आबादी के माध्यम से समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि फेफड़े में ACE2 रिसेप्टर्स ऊर्जा से भरपूर होंगे, जो कोरोनोवायरस का मुकाबला करने में मदद करेगा, जो सीधे श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। प्राचीन भारतीय शास्त्रों में भी इसी दर्शन का उल्लेख किया गया है।
इसके अलावा, पीएम के स्पष्ट आह्वान का अर्थ कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना भी है। पीएम की इस अपील को महज प्रतीकात्मकता कहना गलत होगा और यहां तक कि गैर-जिम्मेदाराना भी, वह भी ऐसे समय में जब पूरा देश अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है।
क्या सभी को पीएम मोदी की बात मानना जरूरी है?
यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है और किसी पर बाध्यकारी नहीं है।