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लिव-इन रिलेशनशिप पर आया हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जानें क्या कहा

अदालत ने पुलिस को जोड़े द्वारा पेश प्रोटेक्शन याचिका पर निर्णय लेने और कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि न्यूनतम विवाह योग्य आयु की प्राप्ति जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए बाधा नहीं है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 30, 2020 16:44 IST
Life, liberty of live-in couple should be protected: Punjab & Haryana High Court- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV अदालत ने कहा कि न्यूनतम विवाह योग्य आयु की प्राप्ति जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए बाधा नहीं है।

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि लिव-इन जोड़ों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए, भले ही उनमें से किसी एक की उम्र विवाह योग्य न हुई हो। न्यायमूर्ति अलका सरीन की सिंगल-जज बेंच ने कहा कि जोड़े के एक साथ रहने के अधिकार को तब तक अस्वीकार नहीं किया जा सकता, जब तक कि वे कानून की सीमाओं के भीतर हैं। उन्होंने कहा, "समाज यह निर्धारित नहीं कर सकता है कि किसी व्यक्ति को अपने जीवन को कैसे जीना चाहिए।"

न्यायमूर्ति ने कहा, "संविधान प्रत्येक व्यक्ति को जीवन के अधिकार की गारंटी देता है। किसी को अपने साथी को चुनने की स्वतंत्रता जीवन के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू है।" न्यायमूर्ति सरीन ने कहा कि मौजूदा मामले में, लड़की के माता-पिता यह तय नहीं कर सकते कि वह वयस्क होने के बाद से कैसे और किसके साथ जीवन बिताएगी। माता-पिता बच्चे को अपनी शर्तो पर जीवन जीने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।

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उन्होंने पुलिस को जोड़े द्वारा पेश प्रोटेक्शन याचिका पर निर्णय लेने और कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि न्यूनतम विवाह योग्य आयु की प्राप्ति जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए बाधा नहीं है। अदालत एक जोड़े की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि युवती के परिवार द्वारा रिश्ते को लेकर उन्हें परेशान किया जा रहा था और उन्हें धमकाया जा रहा था।

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दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं, लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप में रहना पसंद किया, क्योंकि लड़के की उम्र अभी विवाह योग्य नहीं हुई थी। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा रखा, जिसे हादिया मामले के रूप में जाना जाता है, यह रेखांकित करने के लिए कि प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के तहत जीवन के अधिकार की गारंटी दी गई है, एक साथी की पसंद का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

बता दें कि कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी अपने एक आदेश में कहा था कि दो बालिग लोग अपनी इच्छा के अनुसार लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि अगर जरूरत पड़े तो संबंधित इलाके के एसपी को ऐसे लोगों को सुरक्षा दिलानी होगी, जिससे कि कोई उन्हें परेशान ना कर सके।

(Input IANS)

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