नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा को लेकर विशिष्ट जनों के एक समूह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। पत्र में राजनीतिक हिंसा के लिये ''स्टेट टेरर'' को जिम्मेदार बताते हुए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश की निगरानी में निष्पक्ष जांच कराने और शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने की अपील की गई है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद ''निशाना बनाकर की जा रही राजनीतिक हत्याओं'' और इन्हें लेकर स्थानीय प्रशासन तथा पुलिस के ''ढुलमुल और अनुचित'' रवैये की ओर इशारा करते हुए उन्होंने इन मामलों की जांच एनआईए को सौंपने की मांग की।
पत्र में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा राज्य है, लिहाजा देश की संस्कृति और अखंडता पर ''राष्ट्र-विरोधी'' हमले से निपटने के लिए इन मामलों की जांच एनआईए को सौंपी जानी चाहिये। सेवानिवृत न्यायाधीशों, राजनयिकों, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और सैनिकों समेत करीब 150 लोगों ने सोमवार को राष्ट्रपति को यह ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है: ''हम उन लोगों के खिलाफ चुनावी प्रतिशोध में की गई कथित हिंसा से बहुत परेशान हैं, जिन्होंने किसी एक या दूसरे राजनीतिक दल को वोट देने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया।''
उन्होंने मीडिया में आईं खबरों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में चुनाव के बाद हुई कथित हिंसा की 15 हजार से अधिक घटनाओं में महिलाओं समेत दर्जनों लोगों की मौत हुई, जिसकी वजह से कथित रूप से चार से पांच हजार लोगों को असम, झारखंड, और ओडिशा प्रवास करना पड़ा।
राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन पर दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बी सी पटेल, बंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश क्षितिज व्यास, 'रॉ' के पूर्व प्रमुख संजीव त्रिपाठी, पंजाब के पूर्व डीजीपी पीसी डोगरा और जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एस पी वैद समेत कई लोगों ने हस्ताक्षर किये हैं।
2000 से ज्यादा महिला वकीलों ने CJI को लिखा पत्र
देशभर की 2000 से ज्यादा महिला वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमणा और सुप्रीम कोर्ट के साथी न्यायाधीशों को बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में राजनीति से प्रेरित कथित हिंसा पर संज्ञान लेने की मांग करते हुए पत्र लिखा है। देशभर की कुल 2093 महिला वकीलों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
CJI एनवी रमणा और सुप्रीम कोर्ट के साथी न्यायाधीशों को लिखे 56 पन्नों के पत्र में उन्होंने बंगाल में विधानसभा चुनावों (दो मई को परिणाम) के बाद से जारी कथित हिंसा के मामले में तुरंत संज्ञान लेने की मांग की है। पत्र में कई वीडियो, ट्वीट, खबरों आदि का रेफरेंस दिया गया है।