नयी दिल्ली: सीमावर्ती इलाकों में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के आसपास भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम के उल्लंघन की घटनाओं में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कमी आई है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहिर ने राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संघर्षविराम का उल्लंघन कम होने से भारतीय नियंत्रण वाले इलाकों में जनसामान्य और सुरक्षा बलों के हताहत होने की घटनाएं भी कम हुई हैं।
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अहिर ने भारत द्वारा संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेने के विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए कहा कि पिछले साल नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम उल्लंघन की 228 और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 221 घटनाएं हुई थीं जबकि इस साल फरवरी तक यह आंकड़ा सिर्फ 22 और 6 तक सीमित रह गया है। वहीं इन घटनाओं में स्थानीय नागरिकों के हताहत होने वालों की संख्या साल 2017 में शून्य हो गई जबकि पिछले साल 21 स्थानीय नागरिकों की मौत हुई थी और 157 लोग घायल हुये थे।
क्यों किया गया था सर्जिकल स्ट्राइक...
जम्मू-कश्मीर में पिछले साल हुये उरी आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना के जांबाजों ने सितंबर महीने में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था और आतंकियों पर कहर बनकर टूट पड़े थे। उरी हमले के ठीक 10वें दिन भारतीय सेना के 150 जवानों का स्पेशल दस्ता LoC में 3 किलोमीटर तक घुस गया। सेना ने 7 आतंकी ठिकाने को नष्ट कर दिया और 38 आतंकी मार गिराए।
क्या होता है सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक के तहत सेना एक योजनाबद्ध तरीके से हमला करने निकलती है। इसमें ये बताया जाता है कि सेना के जवान इस बात का ख्याल रखते हैं कि उनके हमले में ऐसा कोई नुकसान न हो जिससे आम नागरिक आहत हों। सेना हमला करती है पर न तो आम नागरिक, कोई भवन, वाहन को नुकसान न के बराबर होने का प्रयास करती है। भारतीय सेना ने भी LOC में 3 किलोमीटर तक घुसकर जो हमला किया उसमें भी सेना ने इस बात का ख्याल रखा कि आम नागरिकों और इलाके को नुकसान न हो सिर्फ उन आतंकियों को मार गिराया जाए जो भारत में घुसने का प्रयास पिछले कई दिनों से कर रहे थे।