नई दिल्ली: सरकार शादी के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र सीमा में बदलाव कर सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शादी की न्यूनतम उम्र सीमा में यह बदलाव मातृत्व मृत्युदर (maternal mortality) में कमी लाने के मकसद से किया जाना है। साथ ही लड़िकयों के लिए शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों को देखते हुए यह बदलाव जरूरी लगता है। बता दें कि इससे पहले 1929 के शारदा ऐक्ट में बदलाव करते हुए सरकार ने शादी के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र सीमा 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी थी।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अपने बजट भाषण में कहा था कि महिला के मां बनने की सही उम्र के बारे में सलाह देने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी। साथ ही लड़कियों के लिए शिक्षा एवं रोजगार में बढ़ते अवसरों का भी उन्होंने जिक्र किया था। उन्होंने उस समय यह भी कहा था कि इसपर 6 महीने के अंदर ही विचार किया जाएगा। बता दें कि अभी भारत में लड़की की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़के के लिए 21 साल तय है।
कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का अक्टूबर 2017 में आया एक फैसला सरकार की इस कवायद की वजह हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वैवाहिक बलात्कार से लड़की को बचाने के लिए बाल विवाह पूरी तरह से अवैध माना जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय विवाह के लिए न्यूनतम उम्र के बारे में फैसला लेने का काम सरकार पर छोड़ दिया था। यूनिसेफ के आंकड़ों की बात करें तो उसके मुताबिक भारत में 27 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले और 7 प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है।