नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में स्थिति को ‘‘असाधारण’’ बताया, जहां वकील 29 अप्रैल से हड़ताल कर रहे हैं। इससे अदालतों से जमानत मांगने के नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों पर असर पड़ रहा है। उसने निर्देश दिया कि आईपीएल सट्टेबाजी गिरोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए याचिकाकर्ताओं को उनकी जमानत याचिकाओं के संबंध में बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए।
उच्चतम न्यायालय ने गौर किया कि ‘‘पश्चिम बंगाल के बार काउंसिल द्वारा काम बंद करने के संबंध में 29 अप्रैल को किया गया आह्वान राहत की मांग रहे आठ लोगों के रास्ते में बाधा बन रहा है जिन्हें कथित आईपीएल सट्टेबाजी गिरोह के संबंध में 23 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाशकालीन पीठ ने इन आठ लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इन आठ लोगों ने अंतरिम जमानत की मांग की है।
इन आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 26 अप्रैल को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला क्योंकि राज्यभर के लोगों ने पूरी तरह से न्यायिक कामकाज रोक दिया। पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं को जमानत के आवश्यक आदेशों के लिए 22 मई 2019 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि यह आदेश याचिकाकर्ताओं को जमानत देने के अधिकार के संबंध में किसी आशय के रूप में ना लिया जाए।’’
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए अपने आदेश में कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के 29 अप्रैल 2019 को हड़ताल के आह्वान के कारण पैदा हुई असाधारण स्थिति के संबंध में मामले के विशेष तथ्यों और परिस्थितियों और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकार पर इसके असर पर गौर करते हुए यह आदेश पारित किया गया। इस फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाए।’’