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प्रशांत भूषण ने अवमानना का दोषी ठहराए जाने और 1 रुपए का जुर्माना लगाने के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल की

वकील प्रशांत भूषण पर उच्चतम न्यायालय द्वारा अवमानना मामले में उन्हें दोषी ठहराते हुए जो 1 रुपए का जुर्माना लगाया था उसपर प्रशांत भूषण ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 14, 2020 16:41 IST
Lawyer Prashant Bhushan files review petition in SC against its judgement convicting him and imposin- India TV Hindi
Image Source : PTI Lawyer Prashant Bhushan files review petition in SC against its judgement convicting him and imposing a fine

नयी दिल्ली: वकील प्रशांत भूषण पर उच्चतम न्यायालय द्वारा अवमानना मामले में उन्हें दोषी ठहराते हुए जो 1 रुपए का जुर्माना लगाया था उसपर प्रशांत भूषण ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े की आलोचना करने वाले अपने ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। अदालत ने  इस मामले में 31 अगस्त को सजा के रूप में उनपर 1 रुपए का जुर्माना लगाया था जिसपर अब उन्होनें रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। 

इससे पहले बार काउन्सिल आफ इंडिया ने अवमानना मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषी ठहराने के बाद एक रूपए के जुर्माने की सांकेतित सजा पाने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण का मामला दिल्ली बार काउन्सिल के पास विवेचना करने और कानून सम्मत फैसला लेने के लिये भेजा था।

राज्य की बार काउन्सिल ही एक व्यक्ति को वकालत करने का लाइसेंस प्रदान करती है और उसे अधिवक्ता कानून के तहत कतिपय परिस्थितियों में अपने सदस्य का वकालत करने का अधिकार निलंबित करने या इसे वापस लेने सहित व्यापक अधिकार प्राप्त हैं। बार काउन्सिल ऑफ इंडिया की आम परिषद की तीन सितंबर को संपन्न बैठक में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर विचार किया गया। 

बीसीआई ने इस बैठक में दिल्ली बार काउन्सिल को, जहां प्रशांत भूषण अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हैं, निर्देश देने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि वह नियमों के मुताबिक इस मामले की विवेचना करें और यथाशीघ्र इस पर निर्णय ले। प्रशांत भूषण ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में अवमानना मामले में दंड के रूप में एक रूपया जमा कराया।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट करने के कारण प्रशांत भूषण को 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था और 31 अगस्त को उन पर एक रूपए का सांकेतित जुर्माना किया था। न्यायालय ने कहा था कि जुर्माना अदा नहीं करने पर अवमाननाकर्ता को तीन महीने की कैद भुगतनी होगी और वह तीन साल तक वकालत करने से प्रतिबंधित रहेगा।

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