नयी दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने शनिवार को कहा कि अदालतों में लंबित मामले एक चुनौती बन गए हैं और निचली अदालतों पर तत्परता से ध्यान देने की जरूरत है। रिजीजू ने कहा कि सरकार हमेशा न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की कोशिश करेगी बल्कि इसे सहयोग और मजबूती भी प्रदान करेगी। भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन को सम्मानित करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा आयोजित एक समारोह में कानून मंत्री ने कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान मिसाल कायम करते हुए कई मामलों पर सुनवाई और कई महत्वपूर्ण निर्णय देने के लिये सर्वोच्च न्यायालय व न्यायपालिका की सराहना की।
उन्होंने कहा, ''मैं कहना चाहता हूं कि लोग एक मुद्दा उठाते रहते हैं और वह है मामलों का लंबित होना, जो हम सभी के लिए एक चुनौती बन गया है। हम उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों मामले लंबित होने पर बात करते हैं, किंतु अगर आप बारीकी से देखें तो हमें वास्तव में निचली अदालतों पर तत्परता से ध्यान देने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा कि निर्दोष व्यक्ति न्याय की उम्मीद में अपना सब कुछ छोड़ देता है। कानून मंत्री ने कहा, ''और यदि न्याय में देरी होती है, तो यह हम सभी के लिये एक बड़ा प्रश्न चिह्न है।''
उन्होंने कहा, ''इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय के बारे में बात करते समय अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति, आम आदमी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।'' रिजीजू ने कहा कि पिछली कैबिनेट बैठक में सरकार ने बुनियादी ढांचे के निर्माण, विशेष रूप से निचली अदालतों के सहयोग के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इसमें कोर्ट रूम, वकीलों के हॉल, शौचालय, डिजिटल कमरे और अन्य के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण को किसी बाधा के मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से कानूनी शिक्षा और कानूनी पेशे की उन्नति की दिशा में बीसीआई के सक्रिय कदम प्रशंसनीय हैं और वह हर संभव तरीके से बार काउंसिल को सहयोग देंगे।
उन्होंने कहा, ''सरकार हमेशा न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की कोशिश करेगी बल्कि भारतीय न्यायपालिका को मजबूत करने के लिए समर्थन भी देगी।'' उन्होंने कहा कि वह समारोह के दौरान बीसीआई के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा द्वारा रेखांकित किये गए वकीलों से संबंधित मुद्दों पर भी सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।