नयी दिल्ली: विधि आयोग ने आज सुझाव दिया कि महिलाओं और पुरुषों के लिए शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र समान होनी चाहिए। आयोग ने कहा कि वयस्कों के बीच शादी की अलग अलग उम्र की व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए। दरअसल, विभिन्न कानूनों के तहत, शादी के लिए महिलाओं और पुरुषों की शादी की कानूनी उम्र क्रमश: 18 वर्ष और 21 वर्ष है।
‘परिवार कानून में सुधार’ पर अपने परामर्श पत्र में आयोग ने कहा, ‘‘अगर बालिग होने की सार्वभौमिक उम्र को मान्यता है जो सभी नागरिकों को अपनी सरकारें चुनने का अधिकार देती है तो निश्चित रूप से, उन्हें अपना जीवनसाथी चुनने में सक्षम समझा जाना चाहिए।’’ बालिग होने की उम्र (18 साल) को भारतीय बालिग अधिनियम 1875 के तहत महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए शादी की कानूनी उम्र के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए।
पत्र में कहा गया, ‘‘पति और पत्नी के लिए उम्र में अंतर का कोई कानूनी आधार नहीं है क्योंकि शादी कर रहे दोनों लोग हर तरह से बराबर हैं और उनकी साझेदारी बराबर वालों के बीच वाली होनी चाहिए।’’ आयोग ने नजरिया साझा किया कि महिलाओं और पुरुषों की विवाह उम्र में अंतर बनाए रखना इस दकियानूसी बात में योगदान देता है कि पत्नियां अपने पति से छोटी होनी चाहिए।