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ISI के दबाव में कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने के लिए लश्कर-हिज्बुल ने मिलाए हाथ

इस बैठक की खबर सुन कर भारतीय खुफिया एजंसी सतर्क हो गई है, और साथ ही अपने सुरक्षा इंतज़ाम पहले से ज़्यादा कड़े कर दिए हैं। भारतीय खुफिया एजंसी की इसी कार्यवाही का ही नतीजा है कि दोनो आतंकवादी संगठन अभी बैकफूट पर है। लेकिन वहीं आइएसआइ ने दोनों आतंकवादी

India TV News Desk
Updated : June 14, 2017 12:06 IST
lashkar and hijbul
lashkar and hijbul

नई दिल्ली: कश्मीर में हर दिन बढ़ रहे आतंकवाद के साथ ही अब यह खबर सामने आयी है कि इस आतंकवाद को बदस्तूर जारी रखने के लिए दो आतंकवादी संगठन हिज्बूल मुजाहिदिन और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडरो के बीच एक बैठक हुई हैं। कहा जा रहा है कि यह बैठक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के कोटली इलाके में हुई है। इस बैठक की खबर सुन कर भारतीय खुफिया एजंसी सतर्क हो गई है, और साथ ही अपने सुरक्षा इंतज़ाम पहले से ज़्यादा कड़े कर दिए हैं। भारतीय खुफिया एजंसी की इसी कार्यवाही का नतीजा है कि दोनो आतंकवादी संगठन अभी बैकफूट पर है। लेकिन वहीं आइएसआइ ने दोनों आतंकवादी दलो पर उग्रवादी और घुसपैठ की घटनाएं जारी रखने के लिए नए सिरे से दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...

ऐसे में इन दोनो दलो ने बैठक के ज़रिए अपनी नई रणनीती बनाना शुरू कर दिया है। लेकिन इन आतंकवादी संगठनों के लिए  के लिए घुसपैठ करना और मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि भारतीय सेना के बढ़ते दबाव के चलते, दोनों संगठनों को एलओसी पार अपने शिविर पीछे हटाने पड़े हैं।

इन दोनों दलो के हाथ मिलाने का कारण पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ है जो कि हर उग्रवाद और घुसपैठ की घटना के लिए इन्हें धन देती रही है। आइएसआइ के कहने पर अब दोनों दलो को मिल रही फंडिंग का इस्तेमाल भी साथ मिल कर ही करना होगा। इसी संदर्भ में जब कोटली स्थित इलाके के एक शिविर में दोनों दलो के आतंकियों के बीच धन के बंटवारे को ले कर नतीजे की बात आई तो दोनों में झड़प दो गई।

20 मई को हुई इस झड़प में दोनों गुटों के चार आतंकवादी मारे गए, और 40 से ज़्यादा को गोलियां लगी। इस घटना के बाद दोनों संगठनों के प्रमुख को आइएसआइ का एक कर्नल मौके पर ले गया जहां दोनों ने अपने इरादे साफ कर दिए। दोनों संगठनों के काम करने के अलग तरीके को ले कर काफी बहस हुई जिसके बाद नतीजे के रुप में दोनों में साथ काम करने को ले कर सहमती बनी।

अब दोनों संगठनों, लश्कर और हिज्बूल के करीब 250 आतंकियों को आइएसआइ अपनी मौजुदगी दर्ज कराने की सख्त हिदायत दी गई है। खासतौर पर इन्हें दक्षिण व उत्तरी कश्मीर में उग्रवाद की गतिविधियां बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं।

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