नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है जिसमें इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय आईजीआई हवाईअड्डे के पास सैकड़ों की संख्या में मौजूद, तय ऊंचाई से बड़ी इमारतों को गिराने का आदेश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इससे विमानों को खतरा हो सकता है और विमान यात्रियों की जान भी जोखिम में पड़ सकती है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मिाल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ ने नागर विमानन मंत्रालय, नागर विमानन महानिदेशालय डीजीसीए और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी कर इस याचिका पर अपना जवाब देने के निर्देश दिए हैं। याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि अधिकारियों और रियल एस्टेट खेमे की साठ गांठ के कारण वर्तमान स्थिति पैदा हुई है। ('मन की बात': पीएम मोदी ने कहा, 'हिंसा ना देश बर्दाश्त करेगा और ना ही सरकार')
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि ऐसी ही स्थिति मुंबई में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के संबंध में भी सामने आई थी। उच्च न्यायालय ने भारतीय विमानपान प्राधिकरण एएआई और कई अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भी नोटिस जारी कर छह दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता यशवंत शिनॉय ने अदालत में यह याचिका एयरक्राफ्ट अधिनियम, 1994 पेड़ों और इमारतों द्वारा पैदा होने वाली रुकावटों को गिराना के तहत दाखिल की है जिसमें नागर विमानन की नियामक इकाई डीजीसीए समेत अन्य प्राधिकरणों को निर्देश देने की अपील की गई है।
याचिका में अपील की गई है कि प्राधिकरणों को कानून द्वारा अनिवार्य किया गया एक सर्वेक्षण कराने के निर्देश दिए जाएं। केरल के वकील यशवंत का कहना है कि दिल्ली इन अवरोधों के कारण गंभीर रूप से प्रभावित है। उन्होंने बताया कि मंगलोर में 2010 में हुए विमान हादसे को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह याचिका दाखिल की है।