रांची: झारखंड के जेल महानिरीक्षक वीरेंद्र भूषण ने शुक्रवार को कहा कि न्यायिक हिरासत में रांची के रिम्स में इलाजरत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव द्वारा गुरुवार को पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को लिखे पत्र में राजनीतिक भाषा नहीं बल्कि व्यक्तिगत पुट था। उन्होंने कहा कि इसीलिए लालू द्वारा रघुवंश के नाम लिखे गए पत्र को एम्स प्रेषित करने में जेल प्रशासन को कुछ गलत नहीं समझ में आया।
लालू ने रघुवंश को लिखा था पत्र
बता दें कि चारा घोटाले में सजायाफ्ता और न्यायिक हिरासत में रांची के रिम्स में इलाजरत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने गुरुवार को पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष, पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे के बाद उन्हें पत्र लिखा था। रघुवंश दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती हैं और उनके इस्तीफे के जवाब में लिखा लालू का पत्र रांची में जेल अधीक्षक के माध्यम से रघुवंश के पास ईमेल किया गया था जिसके बाद खासा विवाद उठ गया।
‘पत्र में राजनीतिक बात नहीं थी’
झारखंड के कारागार महानिरीक्षक (IG, प्रिजन) वीरेंद्र भूषण ने बताया, ‘लालू यादव के रांची के होतवार स्थित बिरसा मुंडा कारागार के जेल अधीक्षक के माध्यम से भेजे गए पत्र में भाषा व्यक्तिगत थी जिसमें इस्तीफा शब्द का कहीं प्रयोग नहीं था। इस पत्र में कोई भी राजनीतिक बात नहीं थी।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने गुरुवार को होतवार के जेल अधीक्षक हमीद अंसारी से लालू के हस्त लिखित पत्र को दिल्ली स्थित एम्स के चिकित्सा अधीक्षक को ईमेल किए जाने के बारे में आज पूछा।
‘लालू का पत्र व्यक्तिगत लगा’
भूषण के मुताबिक, अंसारी ने बताया कि लालू का पत्र उन्हें बेहद व्यक्तिगत लगा इसीलिए उन्होंने उसे स्वीकार किया और लालू यादव के अनुरोध के अनुसार दिल्ली में एम्स के चिकित्सा अधीक्षक को ईमेल किया जिससे वह एम्स में भर्ती रघुवंश प्रसाद सिंह को दिया जा सके। भूषण ने स्पष्ट किया कि न्यायिक हिरासत में रांची के राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) में इलाजरत लालू यादव को प्रथम श्रेणी के कैदी के अनुरूप ही सुविधाएं दी जाती हैं, उन्हें कोई विशेष सुविधा नहीं प्रदान की जा रही है।
रघुवंश ने भेजा था इस्तीफा
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि रिम्स में लालू से मिलने वालों की भीड़ के सिलसिले में मिली शिकायत पर उन्होंने जिला प्रशासन को 2 सप्ताह पूर्व पत्र लिखा था जिसके बाद रिम्स में मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई और ऐसी शिकायत नहीं मिली है। ज्ञातव्य है कि गुरुवार को राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व उपाध्यक्ष, नई दिल्ली स्थित एम्स में इलाजरत रघुवंश प्रसाद सिंह ने लंबी नाराजगी के बाद लालू प्रसाद को RJD से अपना हस्त लिखित इस्तीफा भेज दिया था। इसके जवाब में लालू ने रांची से उन्हें जेल अधीक्षक के माध्यम से एक पत्र भेजा था।
‘जेल मैनुअल का उल्लंघन’
लालू के गुरुवार को यहां जारी इस पत्र पर शुक्रवार को बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने पटना में कहा ‘यह स्पष्ट तौर पर जेल मैनुअल की धारा 999 का उल्लंघन है। आखिरकार जेल अधीक्षक ने नियमों की अवहेलना कर इसकी अनुमति कैसे दी? कैदी नंबर 3351 नियम विरुद्ध अब तक जेल में दरबार लगाते रहे। फिर अब वह जेल से ही राजनीतिक पत्र लिखकर भेजने लगे।’
‘यह अत्यंत गंभीर मामला’
नीरज ने कहा, ‘लालू तो कानून की धज्जियां उड़ाने के लिए ही जाने जाते हैं पर आखिरकार बिरसा मुंडा जेल के अधीक्षक को क्या सूझी जो उन्होंने लालू द्वारा राजनीतिक संदर्भ में लिखे गए पत्र को जेल से भेजने की अनुमति दी। बिहार झारखंड जेल मैनुअल की धारा में स्पष्ट है कि कोई भी कैदी राजनीतिक पत्र व्यवहार नहीं कर सकता। यह अत्यंत गंभीर मामला है। झारखंड सरकार को इसपर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए।’ (भाषा)