जयपुर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि एक स्वच्छ भारत ही सशक्त देश का निर्माण कर सकता है और स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव हो शहर हो, घर हो या दफ्तर हो, हर जगह शौचालय जरूरी है। लेकिन, राजस्थान की गहलोत सरकार में शौचालयों की कमी से प्रदेश की महिला पुलिसकर्मी शर्मसार हैं। इंडिया टीवी के पास मौजूद दस्तावेजों ने गहलोत सरकार की शर्मशार करने वाली पोल खोल दी है। प्रदेश में महिला पुलिसकर्मियों के लिए पुलिस विभाग में ही शौचालयों की भारी कमी है।
सवाल सिर्फ गहलोत सरकार की लापरवाही का नहीं है। सवाल सरकार की इच्छा शक्ति का भी है। क्योंकि, जो सवाल महकमें के बड़े अधिकारी उठा रहे है और भारत सरकार की तरफ से पूछा जा रहा है, उसका सूबे के मुखिया की तरफ से न जवाब दिया जा रहा है और न ही उन कमियों को पूरा किया जा रहा है। इंडिया टीवी के पास भी ऐसे दस्तावेज मौजूद हैं, जो ये सवाल उठाते है कि क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रधानमंत्री के इस मिशन को साकार करने में कोई सहयोग करना ही नहीं चाहते।
ये सवाल इस लिए भी उठ रहे हैं क्योंकि कुछ दिनों पहले प्रदेश के डीजीपी भूपेन्द्र यादव ने प्रदेश के गृह सचिव को चिठ्ठी लिखकर महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालयों की भारी कमी का जिक्र किया था और इन शौचालयों को शीघ्र बनवाने के लिए सरकार से गुहार लगाई थी।
क्या कहते हैं आंकड़े? (डीजीपी के पत्र के मुताबिक)
- राजस्थान पुलिस में कुल 2805 महिला शौचालयों की जरूरत है।
- प्रत्येक पुलिस थाने में महिला कर्मियों के लिए न्यूनतम एक शौचालय की जरूरत है।
- प्रदेश में 862 पुलिस थाने हैं, जिनमें 473 शौचालय मौजूद, 389 शौचालय की जरूरत है।
- प्रत्येक जिले की रिजर्व पुलिस लाइन में कम से कम 10 टॉयलेट आवश्यक हैं।
- प्रदेश की 36 रिजर्व पुलिस लाइन में 171 शौचालय उपलब्ध है जबकि 189 की आवश्यकता और है।
- आरएसी, एमबीसी बटालियन में कम से कम 5 शौचालय चाहिए।
- 18 एमबीसी, आरएसी बटालियन मुख्यालय में 41 शौचालय उपलब्ध है जबकि 49 की और जरूरत है।
- प्रत्येक प्रशिक्षण संस्थान में कम से कम 15 शौचालयों की जरूरत है।
- प्रदेश में 10 ट्रेनिंग संस्थान में 97 महिला शौचालय मौजूद, 53 की आवश्यकता
- शौचालय निर्माण के लिए करीब 17 करोड़ रुपए की जरूरत है।
भारत सरकार के पत्र का राज्य ने नहीं दिया जवाब
लोकसभा में 1 जनवरी 2019 को महिला पुलिस कर्मियों के लिए अलग शौचालय के संबंध में प्रश्न संख्या 3400 लगा है। इसके जवाब के लिए गृह मंत्रालय ने राजस्थान समेत कई राज्यों को कई बार पत्र लिखे हैं। पिछले दिनों इसी प्रस्ताव पर राज्यों से जानकारी मांगी कि कितने महिला शौचालय बन गए हैं और कितनों की कमी है। लेकिन, आश्चर्य की बात ये है कि राजस्थान सहित 13 राज्यों ने जानकारी ही नहीं भेजी। इनमें राजस्थान, आंध्र प्रदेश ,अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, बंगाल, हिमाचल प्रदेश, गोवा, तमिलनाडु और नागालैंड शामिल हैं।