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सोमवती अमावस्या पर संतों का शाही स्नान, हैलीकॉप्टर से बरसाए गए फूल

शाही स्नान के लिए जाते साधु संतों पर उत्तराखंड सरकार की ओर से हैलीकॉप्टर से लगातार पुष्पवर्षा की जाती रही, जिससे वातावरण दिव्य बन गया। 

Written by: Bhasha
Published on: April 12, 2021 17:16 IST
सोमवती अमावस्या पर संतों का शाही स्नान, हैलीकॉप्टर से बरसाए गए फूल- India TV Hindi
Image Source : PTI सोमवती अमावस्या पर संतों का शाही स्नान, हैलीकॉप्टर से बरसाए गए फूल

हरिद्वार: कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच सोमवती अमावस्या के अवसर पर महाकुंभ के दूसरे शाही स्नान के दिन सोमवार को साधु संतों ने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ मुख्य स्नान घाट हर की पैड़ी पर असीम आस्था और अपार उत्साह के साथ मोक्षदायिनी गंगा में डुबकी लगाई। अमृत कलश से छलकी बूंदों का पुण्य कमाने के लिये देश के कोने-कोने से उमडे़ श्रद्धालुओं ने भी यहां शहर के अन्य घाटों पर गंगा में डुबकी लगाई और कुंभ स्नान का लाभ लिया। महाकुंभ मेला प्रशासन ने दावा किया कि हरिद्वार से लेकर देवप्रयाग तक पूरे मेला क्षेत्र में अब तक 20 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर लिया है। 

शाही स्नान के दौरान महाकुंभ मेले की व्यवस्था की निगरानी करने पहुंचे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में सुचारू ढंग से स्नान चल रहा है। उन्होंने बताया कि हर की पौड़ी पर अखाडों से जुडे़ साधु संत शाही स्नान कर रहे हैं जबकि अन्य घाटों पर आम श्रद्धालुओं का स्नान जारी है। सबसे पहले श्री पंचायती निरंजनी अखाडे़ के साधु संत और नागा संन्यासी अपने पीठाधीश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज की अगुवाई में स्नान के लिए हर की पौड़ी ब्रहमकुंड पहुंचे। कैलाशानंद गिरी महाराज ने सबसे पहले गंगा पूजन किया और अखाडे़ के इष्ट देव कार्तिकेय भगवान की डोली को गंगा स्नान कराया। इ

इसके बाद अखाडे़ के अन्य साधु संतों ने गंगा में डुबकी लगाई। निरंजनी अखाड़े के साथ ही आनंद अखाड़ा के संतों ने अपने आचार्य बालकानंद गिरी के साथ गंगा स्नान किया और अपने इष्टदेवों के साथ नदी में डुबकी लगाई। महाकुंभ में भाग लेने के लिए पहली बार हरिद्वार पहुंचे पूर्व नेपाल नरेश राजा ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह ने भी निरंजनी अखाड़े के साथ ब्रह्म कुंड में शाही स्नान किया। इसके बाद शाही स्नान के क्रम में जूना अखाड़ा के हजारों साधु-संत और नागा संन्यासी अपने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज, अखाड़े के अध्यक्ष महंत हरि गिरी सहित अन्य महंतों के नेतृत्व में गंगा स्नान के लिए पहुंचे। 

जूना अखाडे़ ने सबसे पहले अपने इष्टदेव भगवान दत्तात्रेय की पालकी को स्नान कराया। इष्टदेव के स्नान करते हुए हजारों नागा हर-हर महादेव का जय गोष करते हुए गंगा में कूद पड़े। मोक्ष की कामना में गंगा की अविरल धारा में स्नान करते नागाओं का उत्साह देखते ही बनता था। जूना अखाड़े के साथ अग्नि, आवाहन के नागा साधुओं और संतो ने भी स्नान किया। इसके अलावा, हरिद्वार महाकुंभ में पहली बार किन्नर अखाड़े ने भी शाही स्नान किया। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी मणि त्रिपाठी की अगुवाई में सैकड़ों किन्नर संत ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए हरकी पौड़ी पहुंचे और शाही स्नान किया। 

हालांकि, इसी बीच महामंडलेश्वर लक्ष्मीमणि त्रिपाठी अचानक बेहोश हो गयीं जिसके बाद उन्हें एम्बुलेंस से एक निजी अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद महा निर्वाणी अखाड़े और अटल अखाड़े के साधु संत बैंड बाजे के साथ निर्वाणी अखाडे़ के आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद महाराज की अगुवाई में हरकी पैड़ी पहुंचे। भगवान सूर्य की पालकी को स्नान कराने के बाद अखाड़ों के संतों ने गंगा स्नान किया। इस दौरान पूरा क्षेत्र साधु संतों के रंग में डूबा नजर आया। शाही स्नान के लिए जाते साधु संतों पर उत्तराखंड सरकार की ओर से हैलीकॉप्टर से लगातार पुष्पवर्षा की जाती रही, जिससे वातावरण दिव्य बन गया। 

इससे पहले, सुबह सात बजे मेला प्रशासन ने मुख्य स्नान घाट हरकी पौडी ब्रहमकुंड को पूरा खाली करा लिया, जिससे पूरे दिन यहां सभी 13 अखाडों से जुड़े साधु संत शाही स्नान कर सकें। इसके अलावा, हरकी पौडी के पास मालवीय घाट भी सोमवार रात तक साधु संतों के शाही स्नान के लिए आरक्षित रहेगा। सुरक्षा की दृष्टि से 20 हज़ार से भी अधिक पुलिस बलों के जवान और बम निरोधक दस्ते मेला क्षेत्र में तैनात किए गए हैं। 

कोविड के बढते प्रकोप के बीच हो रहे महाकुंभ शाही स्नान के दौरान आने जाने वाले लोगों को पुलिस के जवान मास्क बांटते और सावधानी बरतने की सलाह देते नजर आए। हरकी पौड़ी और अन्य घाटों पर महाकुंभ मेला प्रशासन ने सैनिटाइजर की मशीनें लगाई हैं। कोविड 19 के कारण एक माह की अवधि के लिए सीमित कर दिए गए महाकुंभ का यह दूसरा शाही स्नान है। इससे पहले एक मार्च को महाशिवरात्रि के मौके पर महाकुंभ का पहला शाही स्नान पड़ा था।

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