देहरादून/ ऋषिकेश: कोविड-19 के चलते केवल एक माह की अवधि तक सीमित कर दिए गए हरिद्वार कुंभ का शुक्रवार को समापन हो गया जिसमें इस बार केवल 70 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाई। सामान्य परिस्थितियों में तीन माह से भी अधिक समय तक चलने वाले महाकुंभ महामारी के चलते कड़ी पाबंदियों के साथ इस बार एक अप्रैल से शुरू हुआ और इस दौरान 12, 14 और 27 अप्रैल को केवल तीन शाही स्नान हुए। हर 12 साल में एक बार हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जबकि इसकी अवधि और स्तर को बहुत कम रखा गया।
इस बड़े धार्मिक आयोजन के दौरान साधु संतों समेत ढाई हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हुए। कोविड मामलों में उछाल के बाद कुंभ मेले को प्रतीकात्मक रखे जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद भीड़ छंटनी शुरू हो गई थी। निरंजनी अखाड़ा के बाद जूना अखाड़ा तथा कई अन्य अखाड़ों ने काफी पहले से ही कुंभ क्षेत्र में अपनी छावनियां खाली कर दी थी और 27 अप्रैल के आखिरी शाही स्नान के लिए उनके केवल कुछ ही साधु बचे थे। हालांकि, तमाम दुश्वारियों के बावजूद हरिद्वार से लेकर टिहरी जिले के देवप्रयाग तक 641 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले कुंभ मेले के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
कुंभ मेला पुलिस निरीक्षक संजय गुंज्याल ने बताया कि 1912 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब हरिद्वार कुंभ शांति से संपन्न हुआ और कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। उन्होंने कहा, 'पूर्व में इस आयोजन के दौरान भगदड़, झगड़ा या विभिन्न अखाडों के साधु संतों के बीच विवाद होते रहे हैं लेकिन इस बार कोरोना वायरस की दूसरी लहर की असामान्य परिस्थितियों के बावजूद कुंभ मेला बिना किसी बाधा के संपन्न हो गया। यह एक प्रकार का रिकॉर्ड है।'
गुंज्याल ने कहा कि हांलांकि, इस बार आशा के अनुरूप भीड़ नहीं आई लेकिन 1500 पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कार्मिकों की कुंभ क्षेत्र में तैनाती किसी भी संख्या के प्रबंधन के लिए पर्याप्त थी। इस बार का कुंभ मेला स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौतियों से भरा हुआ था जिसने इस दौरान मेला क्षेत्र में कुल 190083 कोविड जांच कीं जिनमें से 2642 कोरोना संक्रमित मिले। हरिद्वार के मुख्य चिकित्साधिकारी एसके झा ने बताया कि कोविड के मामलों में उछाल के चलते इस बार का कुंभ हमारे लिए एक बड़ी चुनौती था।