पुणे: पुणे पुलिस ने एक न्यायिक आयोग के समक्ष कहा है कि यहां नजदीक स्थित कोरेगांव-भीमा में एक जनवरी को हुई हिंसा एक दिन पूर्व यलगार परिषद की सभा में दिए गए ‘‘उकसाने वाले व भड़काऊ’’ भाषणों की वजह से हुई। पुणे पुलिस ने इस संबंध में हिंसा की जांच के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेएन पटेल के नेतृत्व में महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग के समक्ष शुक्रवार को हलफनामा दायर किया।
यलगार परिषद ने पिछले साल 31 दिसंबर को यहां शनिवार वाड़ा में ईस्ट इंडिया कंपनी बलों द्वारा 1818 में पेशवा की सेना को हराने के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी में काफी संख्या में दलित सैनिक शामिल थे। इसके कारण इस साल एक जनवरी को इलाके में हिंसा हुई। साथ ही पूरे राज्य में दलित संगठनों ने प्रदर्शन किया और तीन जनवरी को महाराष्ट्र में बंद रखा गया।
न्यायिक आयोग के समक्ष राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरय ने बताया कि पुणे पुलिस की ओर से अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिणी क्षेत्र) रविन्द्र सेनगांवकर ने हलफनामा दायर किया। संपर्क करने पर सेनगांवकर ने हलफनामा दायर किए जाने की पुष्टि की।
हलफनामा के ब्यौरे के बारे में हिरय ने रविवार को बताया, ‘‘मामले की जांच के दौरान पुणे पुलिस को लगा कि यलगार परिषद किसी तरह से खुद षडयंत्र का हिस्सा था।’’ पुलिस हलफनामे के हवाले से उन्होंने बताया, ‘‘और सम्मेलन में उकसाने और भड़काने वाले भाषणों ने लोगों को उत्तेजित किया और एक व्यापक साजिश के कारण आखिरकार भीमा-कोरेगांव में अगले दिन हिंसा हुई।’’