नई दिल्ली: अपने चार दिवसीय दौरे पर अमेरिका पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात से पहले भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई। हिजबुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया है। बता दें कि सलाहुद्दीन वही आतंकी है जिसने सितम्बर 2016 में कश्मीर मुद्दे के किसी भी शांतिपूर्ण समाधान को बाधित करने और कश्मीर घाटी को भारतीय बलों की कब्रगाह बनाने की कसम खायी थी। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
कौन है सलाहुद्दीन?
सैयद सलाहुद्दीन 1990 से पहले कश्मीर में यूसुफ शाह के नाम से जाना जाता था और उसने वर्ष 1987 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के टिकट पर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था। हालांकि, वो इस चुनाव में हार गया था। लेकिन अब सलाहुद्दीन पाकिस्तान में युनाइडेट जिहाद काउंसिल का सरगना है। अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तान का एजेंडा चलाने की वजह से सलाउद्दीन को जेल में बंद कर दिया गया था। लेकिन जब वो जेल से छूटा तो सुधरने के बजाए वो और ख़तरनाक हो चुका था।
जेल से छूट कर मोहम्मद यूसुफ शाह जब बडगाम अपने गांव सोमवग पहुंचा, तब उसका जोरदार स्वागत हुआ। हाथ में बंदूक लिए शाह ने मंच से जहर उगला। यूसुफ ने कहा, 'हम शांतिपूर्ण तरीके से विधानसभा में जाना चाहते थे, लेकिन हमें ऐसा नहीं करने दिया गया। हमें गिरफ्तार किया गया और हमारी आवाज को दबाने के लिए हमें प्रताड़ित किया गया। कश्मीर मुद्दे के लिए हथियार उठाने के अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।' इसके बाद यूसुफ शाह ने नारा लगाया, 'हमें क्या चाहिए- आजादी।' गांव वालों ने दोहराया था - आजादी।
5 नवंबर 1990 को यूसुफ शाह, सैयद सलाहुद्दीन बन गया। वह सीमा पार कर पीओके के मुजफ्फराबाद पहुंचा और फिर हिजबुल मुजाहिदीन नामक संगठन बनाकर जम्मू-कश्मीर में आंतकवादी गतिविधियां संचालित करने लगा।
सलाहुद्दीन भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। पिछले साल जनवरी में पठानकोट एयरबेस पर हमले के पीछे उसके संगठन यूनाइडेट जिहाद काउंसिल का हाथ था। जैश ए मोहम्मद भी सलाहुद्दीन के संगठन का ही हिस्सा है। कश्मीर के ज्यादातर आतंकी हिज्बुल मुजाहिद्दीन से ही जुड़े हुए हैं। कश्मीर में हिंसा में इस संगठन का सबसे बड़ा हाथ है।
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